GST Reform:
रांची। जीएसटी में हुए बदलाव से कई राज्यों को राजस्व की क्षति होने की आशंका है। इनमें झारखंड भी शामिल है। झारखंड ने जीएसटी से राजस्व हानि को फोकस प्वाइंट बनाया है। इसकी भरपाई की मांग की गई है। GST काउंसिल की बैठक में शामिल राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि जीएसटी की प्रस्तावित संशोधन नीति से झारखंड के ऑटोमोबाइल, सीमेंट तथा अन्य उत्पादन क्षेत्र में करीब 2,000 करोड़ रुपए की राजस्व क्षति होने का आकलन है।
उन्होंने कहा कि झारखंड एक विनिर्माता मतलब मैन्युफक्चरिंग राज्य है। माल और सेवा कर प्रणाली से राज्य के आतंरिक राजस्व संग्रहण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। राज्य के वित्त मंत्री ने कहा कि इस राज्य से निकले कोयला और स्टील उत्पादन का लगभग 75 से 80 प्रतिशत खपत राज्य के बाहर होता है। इस प्रकार जीएसटी का लाभ उपभोक्ता वाले राज्यों को हो रहा है। 2017 से 2022 की अवधि में 5 वर्ष पूरा हो जाने के बाद जीएसटी मुआवजा की योजना बंद कर दी गई है।
केंद्र से कम से कम 2000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की मांगः
राधाकृष्ण किशोर ने झारखंड के लिए गारंटीयुक्त कम से कम 2000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की मांग की। कहा कि पांच वर्षों तक झारखंड को जीएसटी का मुआवजा नहीं देने का अर्थ यह नहीं है कि राज्य आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो गया है। यहां मानव संसाधन का अभाव बना हुआ है। झारखंड उग्रचाद प्रभावित राज्य रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी बहुत कार्य करना है। इसलिए, उक्त राशि तब तक उपलब्ध कराई जाए, जब तक झारराखंड का राजस्व आय सुदृट्ट न हो जाए।
गैर भाजपा शासित ने बैठक से पहले बनाई थी रणनीतिः
29 अगस्त को गैर भाजपा शासित 3 राज्यों ने केंद्र सरकार के स्टैंड के खिलाफ रणनीति बनाई थी। नई दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में हुई उस बैठक में झारखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना एवं प. बंगाल के वित्त एवं वाणिज्य कर मंत्री शामिल थे। कहा था कि जीएसटी के मुद्दे पर गैर भाजपा शासित राज्य केंद्र सरकार के रबर स्टांप नहीं बनेंगे।
इसे भी पढ़ें