Karma festival:
रांची। Karma Puja 2025: करमा पर्व आदिवासी समाज की आस्था, प्रकृति प्रेम और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह पर्व खासतौर पर झारखंड, बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार प्रकृति की उपज, भाई-बहन के प्रेम और सामाजिक एकता का उत्सव है। इस दिन महिलाएं और युवतियां अपने भाई के लिए उपवास रखती हैं।
करमा पूजा विधिः
करमा पूजा की शुरुआत घर की साफ-सफाई और पूजा स्थल को शुद्ध करने से होती है। इसके लिए गाय का गोबर का उपयोग किया जाता है। पूजा में कर्मा वृक्ष की डालियों को गाड़ा जाता है और उसका पूजन किया जाता है।
भाइयों की लंबी उम्र की कामना की जाती हैः
महिलाएं थाली सजाकर करम देव की पूजा करती हैं और अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और उन्नति की कामना करती हैं।
लोक कथाएं सुनाई जाती हैः
इस दौरान कर्म और धर्म से जुड़ी लोककथाएं भी सुनाई जाती हैं, जिनमें अच्छे कर्मों और उनके फलों का महत्व बताया जाता है।
एक खास परंपरा यह है कि विवाहित महिलाएं मायके आकर करमा पर्व मनाती हैं।
पूजा के अंत में भाई बहनों से व्रत का कारण पूछते हैं और खीरे के साथ आशीर्वाद देते हैं।
करमा पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वः
करमा पर्व को आदिवासी संस्कृति में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन अविवाहित कन्याएं उपवास रखकर फसल की रक्षा और अच्छी उपज की कामना करती हैं।
मान्यता है कि इस व्रत को सच्ची निष्ठा से करने पर योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
यह पर्व परिवार की भलाई, समृद्धि, संतान सुख और सामाजिक सौहार्द के लिए भी विशेष रूप से मनाया जाता
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