Oral cancer:
नई दिल्ली, एजेंसियां। ओरल कैंसर, जिसे मुंह का कैंसर भी कहा जाता है, अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गया है। हाल के वर्षों में 30-40 साल की उम्र के युवाओं में ओरल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण खराब जीवनशैली, तंबाकू और शराब का सेवन, और तनावपूर्ण कार्यभार है। डॉक्टरों के अनुसार, यह कैंसर अब तेजी से एक सामान्य समस्या बनता जा रहा है, और यदि समय रहते इसे पहचाना न जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है।
डॉक्टर से जानें, क्या हैं ओरल कैंसर के कारण?
मैक्स अस्पताल, साकेत, दिल्ली के प्रमुख कंसल्टेंट, डॉक्टर अक्षत मलिक के अनुसार, ओरल कैंसर के कई कारण हो सकते हैं। इनमें सबसे प्रमुख कारण बिना धुएं वाला तंबाकू है, जो पान, गुटखा, खैनी और सुपारी जैसे उत्पादों से जुड़ा हुआ है। इन पदार्थों का सेवन युवावस्था में शुरू होता है, और जब व्यक्ति 30-40 साल की उम्र में पहुंचता है, तो यह कैंसर का कारण बन सकता है। इसके अलावा, माउथ फ्रेशनर के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली सुपारी भी एक कार्सिनोजेन है, जिससे मुंह की परत सख्त हो जाती है और कैंसर का खतरा बढ़ता है।
ओरल कैंसर के लक्षण:
लंबे समय तक न ठीक होने वाले छाले
सफेद या लाल धब्बे
मुंह से अचानक खून आना
मुंह में दर्द या सूजन
स्वाद में बदलाव या निगलने में दिक्कत
इन लक्षणों को नजरअंदाज करना बेहद खतरनाक हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर यह लक्षण समय पर पहचाने जाएं तो इलाज में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
ओरल कैंसर से बचने के उपाय:
बिना धुएं वाले तंबाकू पर कड़ी रोक
शराब और सिगरेट से दूर रहें
HPV (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) वैक्सीनेशन
स्वस्थ आहार और ओरल हाईजीन का ख्याल रखें
नियमित रूप से मुंह की जांच कराना
स्कूलों, कॉलेजों और वर्कप्लेस पर जागरूकता फैलाना
क्या है ओरल कैंसर का खतरा?
भारत में ओरल कैंसर के मामलों का एक बड़ा हिस्सा है। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब लोग इसके शुरुआती लक्षणों की पहचान नहीं कर पाते। खासकर गांव और कस्बों में इसे लेकर जागरूकता की कमी है। अगर इस बीमारी को शुरुआती दौर में पहचान लिया जाए, तो इसका इलाज संभव है और बचाव की संभावना भी अधिक होती है।
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