सरकार ने दिया 31 मार्च 2025 तक मान्यता लेने का मौका
रांची। क्या आपको पता है कि देश में सबसे अधिक बिना मान्यता वाले स्कूल झारखंड में हैं। झारखंड में ऐसे स्कूलों की संख्या करीब 5,879 है। इनमें से ज्यादातर स्कूल बेसमेंट और घर में चल रहे हैं। इन सभी बिना मान्यतावाले स्कूलों के खिलाफ 31 मार्च 2025 के बाद कार्रवाई होगी। इन सभी स्कूलों को इस अवधि तक मान्यता लेने को कहा गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में कुल 22,298 स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं।
कक्षा आठ तक के 3700 विद्यालय संचालितः
झारखंड में बिना मान्यता के चल रहे 5879 स्कूलों में से सबसे अधिक लगभग 3700 विद्यालय कक्षा एक से आठ तक के हैं। स्कूल प्रबंधन बिना मान्यता के ही बच्चों का नामांकन ले रहे हैं। जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधान के तहत स्कूलों को पहले मान्यता लेनी है, फिर नामांकन लेना है।
रांची में सबसे अधिक चतरा में सबसे कमः
राज्य में बिना मान्यता के सबसे अधिक 700 स्कूल रांची में संचालित हैं। चतरा में सबसे कम विद्यालय संचालित है। शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर स्कूलों के मान्यता को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किया जाता है। इसके बाद भी पांच हजार से अधिक स्कूलों ने मान्यता नहीं ली है।
झारखंड में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुए 13 वर्ष हो गये।
इसके बाद भी देश में सबसे अधिक बिना मान्यता के विद्यालय झारखंड में ही संचालित हो रहे हैं। जबकि अधिनियम लागू होने के तीन वर्ष के अंदर स्कूलों को मान्यता ले लेनी थी। नियमों की अनदेखी कर स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भेजा पत्रः
केंद्रीय स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने सभी राज्यों के शिक्षा सचिव को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में बिना मान्यता के संचालित 5879 स्कूलों में 837879 बच्चे नामांकित है, जबकि 46421 शिक्षक कार्यरत हैं। केंद्र के पत्र के बाद राज्य सरकार ने इन स्कूलों को मान्यता देने के लिए एक अंतिम अवसर दिया है। इसके बाद अगर विद्यालय मान्यता नहीं लेते है, तो इन स्कूलों को बंद कर दिया जायेगा।
क्यों नहीं ले रहे मान्यताः
दरअसल, बिना मान्यता के चल रहे स्कूल सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं करते हैं। निर्धारित मापदंड के तहत जमीन, भवन, प्रयोगशाला, पुरस्कालय, खेल समेत अन्य संसाधन की आवश्यकता होती है। शिक्षकों के लिए आवश्यक योग्यता का निर्धारण किया गया है। बिना मान्यता के संचालित अधिकतर स्कूल निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं करते हैं। ऐसे विद्यालय कहीं बेसमेंट, तो कही घर में संचालित हो रहे हैं। इन विद्यालयों से विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा में भी शामिल नहीं हो पाते हैं। ऐसे में ये स्कूल मान्यतावाले स्कूलों से साठगांठ कर बच्चों को बोर्ड की परीक्षाएं दिलाते हैं।
विभाग में भी लटकता है मामलाः
कई विद्यालयों का मामला विभाग के स्तर पर लटका है। जिला स्तर पर फिलहाल राज्य के 400 स्कूलों के मान्यता के आवेदन लंबित हैं। सभी जिलों को इन विद्यालयों के संबंध में जल्द निर्णय लेने को कहा गया है।
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