रांची। झारखंड के प्राकृतिक सौंदर्य और जंगली इलाके लोगों को अपनी और आकर्षित करते हैं। वहीं, दूसरी ओर यहां के अपराधी देश दुनिया में झारखंड की अलग पहचान बना रहे है।
कई अपराधी ऐसे है जो जेल में रहते हुए भी पुलिस के लिए सिरदर्द बन गए है। जेल में रहकर ये गैंगस्टर ना केवल झारखंड बल्कि दूसरे राज्यों में भी अपना आतंक फैला रहे है। तो कई ऐसे अपराधी है जिनका कनेक्शन लॉरेंस बिश्नोई से है। कहने का मतलब है कि ये अपराधी जेल से ही अपनी सल्तनत चला रहे हैं।
आइए जानते हैं उन 5 गैंगस्टरों के बारे में, जिन्होंने अपना आतंक जेल में रहते हुए भी कायम रखा है।
इनमें अमन साहू, विकास तिवारी, अमन श्रीवास्तव, सुजीत सिन्हा और अखिलेश सिंह का नाम सबसे ऊपर है।
अमन साहू
फेहरिस्त काफी लंबी है लेकिन इनमें सबसे पहला नाम झारखंड के अमन साहू का आता है। अमन साहू रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र के मतवे गांव का रहने वाला है।
पिछले ढ़ाई साल से अमन साहू जेल में है। लेकिन जेल में रहते हुए भी वह अपनी अपराध की दुनिया को चला रहा है।
जिस कारण झारखंड पुलिस लगातार पुलिस अमन साहू का अलग-अलग जेलों में ट्रांसफर कर रही है। बीते ढ़ाई सालों में नौ बार अमन को अलग-अलग जेलों में शिफ्ट किया गया है।
हाल के दिनों की बात करे तो एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में गैंगस्टर अमन साहू के रांची और हजारीबाग में तीन ठिकानों पर छापेमारी की थी।
इस दौरान एनआईए ने अमन के ठिकानों से कई सामान बरामद किए थे। साथ ही एनआईए अमन साहू गैंग में काम करने वाली पम्मी को भी गिरफ्तार किया है।
हत्या रंगदारी जैसे बड़े मामलों को अंजाम देने का आरोप इस गैंग पर है। अमन साहू गैंग का नेटवर्क झारखंड ही नहीं बल्कि दूसरे कई राज्यों मसलन, बिहार, छत्तीसगढ़ से लेकर पंजाब तक फैसा है। पुलिस का दावा है कि अमन साहू के तार लारेंस विश्नोई से भी जुड़े हैं।
इस गैंग के कई अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। लेकिन अभी भी कई ऐसे अपराधी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
बताया जाता है कि अमन साहू गैंग में कुल 145 गुर्गे है। इनमें से 99 गुर्गे जेल से बाहर अपराध को अंजाम दे रहे है।
अमन और लारेंस के संबंधों की जांच एनआईए और अन्य जांच एजेंसी कर रही है। फिलहाल अमन साहू चाईबासा के जेल में बंद है।
विकास तिवारी
इस लिस्ट में दूसरा नाम विकास तिवारी का है। फिलहाल विकास तिवारी हजारीबाग के जेल में बंद है। विकास तिवारी पांडेय गिरोह के प्रमुख है।
भोला पांडेय और किशोर पांडेय की हत्या के बाद गिरोह का संचालन विकास तिवारी ही कर रहा है। विकास तिवारी को हजारीबाग पुलिस ने 2 अगस्त 2015 को गिरफ्तार किया था।
तब से लेकर अब तक विकास जेल में बंद है। विकास तिवारी पर गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव की हत्या का आरोप है।
इसके साथ ही विकास का भी कनेक्शन कुख्यात अपराधी लॉरेंस बिश्नोई के साथ बताया जा रहा है।
हाल के दिनों में पांडेय गिरोह के सक्रिय अपराधी गोविंद राय को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद से यह बात सामने आ रही थी कि लॉरेंस बिश्नोई का झारखंड कनेक्शन है।
इस मामले में एटीएस विकास तिवारी से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। वहीं विकास के नेटवर्क की बात करे तो इसका नेटवर्क झारखंड के रामगढ़ जिले में काफी सक्रिय है।
यह जेल में रहते हुए रंगदारी हत्या जैसे वारदातों को अपने गैंग के सदस्यों से अंजाम दिलाता है। बता दें कि विकास तिवारी रामगढ़ के पतरातू का रहने वाला है।
अमन श्रीवास्तव
इस लिस्ट में तीसरा नाम श्रीवास्तव गैंग का गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव का है। अमन श्रीवास्तव मूल रूप से चतरा जिले के कुपा गांव का रहने वाला है।
अमन झारखंड का मोस्ट वांटेड अपराधियों में से एक रहा है। पिछले साल झारखंड और महाराष्ट्र की एंटी टेररिस्ट स्कवॉड ने ऑपरेशन चला कर अमन को मुंबई से गिरफ्तार किया था। लेकिन गिरफ्तारी से पहले अमन का आतंक झारखंड के कई जिलों में था।
अमन के ऊपर हत्या, लूट, रंगदारी, अपहरण जैसे दर्जनों केस दर्ज थे। अमन का आतंक टेंडर, ट्रांसपोटिंर्ग, कन्स्ट्रक्शन में काफी ज्यादा था। इसके साथ ही अमन का गैंग बड़े पैमाने पर आर्म्स की सप्लाई कर मोटी रकम कमाता था।
बताते चलें कि अमन श्रीवास्त शुरूआत से ही अपराध की दुनिया में नहीं था। अपराध से अमन का दूर-दूर तक कोई रिश्ता नाता नहीं था। लेकिन अमन के पिता सुशील श्रीवास्त झारखंड के बड़े गैंगस्टर थे।
उनका आतंक कोयलाचंल के इलाकों में था। इसी बीच हत्या के मामले में अमन के पिता जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।
तभी 2 जून 2015 को हजारीबाग कोर्ट परिसर में अमन के पिता की हत्या पांडेय गैंग ने कर दी। इसके बाद अपराध की दुनिया में अमन की एंट्री हुई।
फिर अमन के इशारे पर 26 अक्तूबर 2016 को किशोर पांडेय के बुजुर्ग पिता कामेश्वर पांडेय की हत्या पतरातू में कर दी गई।
इस हत्याकांड के बाद अमन श्रीवास्तव ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और लगातार अपराध की घटना को अंजाम देता रहा।
सुजीत सिन्हा
अब इस लिस्ट में चौथा नाम पलामू का रहने वाला सुजीत सिन्हा का है। उम्रकैद की सजा काट रहा सुजीत सिन्हा इस वक्त हजारीबाग के जेल में बंद है। शुरूआती दिनों में सुजीत सिन्हा पलामू में हत्या रंगदारी जैसी घटनाओं को अंजाम देता था।
इसी बीच उसका कनेक्शन रांची के कुख्यात अपराधी अमन साहू से हुआ। जिसके बाद अमन साहू के साथ मिलकर इसने अपराध की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। सुजीत सिन्हा के खिलाफ आर्म्स एक्ट, रंगदारी और हत्या सहित 51 केस दर्ज हैं।
उसके गिरोह में कई अपराधी शामिल हैं। गिरोह के कुछ अपराधी वर्तमान में फरार हैं और कुछ सक्रिय हैं।
जेल में रहने के बाद भी सुजीत सिन्हा के गैग का संचालन बाहर से उसकी पत्नी रिया सिन्हा कर रही है। रिया का सुजीत के गैंग में काफी महत्वपूर्ण भागीदारी है।
गेम प्लान बनाने और पैसों का लेनदेन में भी उसकी खूब चलती है। इसकी जानकारी पलामू पुलिस के हाथ चढ़े सुजीत सिन्हा के गुर्गे ने दी है।
फिलहाल पुलिस सुजीत सिन्हा की पत्नी रिया सिन्हा की गतिविधयों और उसके कनेक्शन की जांच कर रही है।
अखिलेश सिंह
अंत में अब बात करते हैं जमशेदपुर के गैंगस्टर अखिलेश सिंह की। अखिलेश सिंह मुख्य रूप से झारखंड के लौहनगरी जमशेदपुर का रहने वाला है।
पढ़े लिखे परिवार में जन्मे अखिलेश सिंह के पिता चंद्रगुप्त सिंह खुद पुलिस में थे। शुरूआती दौर में अखिलेश सिंह ट्रांसपोर्ट के धंधे में जुड़ा था।
इसी बीच अखिलेश ने ट्रासपोर्टर अशोक शर्मा की हत्या कर दी थी। जिसके बाद अखिलेश पर एक व्यापारी ओम प्रकाश काबरा की किडनैपिंग का इल्जाम लगा। लेकिन कुछ ही दिनों में अखिलेश सिंह को कोर्ट से जमानत मिल गई थी।
जेल से निकलने के बाद अखिलेश का दबदबा जमशेदपुर में इतना बढ़ा की अखिलेश व्यवसायी के रूप में नहीं, बल्कि गैंगस्टर अखिलेश सिंह के नाम से जाना जाने लगा।
अखिलेश सिंह पर कुल 56 से अधिक अपराधिक मामले दर्ज है। इनमें उपेंद्र सिंह हत्याकांड, आर्म्स एक्ट, धोखाधड़ी इसके साथ ही जयराम सिंह, आशीष डे, परमजीत सिंह हत्याकांड शामिल है। लेकिन सबसे चर्चित मामला मामला साकची जेल के जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या का है।
इस मामले में अखिलेश सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। लेकिन 2007 में उसे उच्च न्यायालय से पेरोल मिला था। लेकिन उसके बाद अखिलेश अदालत में उपस्थित नहीं हुए।
इसके पांच साल बाद 2011 में दिल्ली के नोएड़ा से पकड़ा गया था। इस बीच सोनारी के अमित सिंह और उपेंद्र सिंह की हत्या का मामला दर्ज हुआ था। जिसके में जमशेदपुर पुलिस ने उसे गुरूग्राम से 2017 में पत्नी के साथ गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से अखिलेश सिंह अब तक जेल में ही है। लेकिन इस गैंगस्टर का आतंक जमशेदपुर में इस कदर है कि आज भी इसके एक नाम से पूरा जमशेदपुर कापता है।
तो ये थे वो पांच गैंगस्टर, जो कहने को तो जेल में बंद हैं, पर उनकी अपराध की दुनिया की सल्तनत बेखौफ चल रही है।
हालांकि इनके अलावा भी कुछ बड़े नाम हैं, जो जेल में हैं, जिनमें अनिल शर्मा, सुरेंद्र सिंह बंगाली जैसे नाम हैं। पर इनकी कोई आपराधिक गतिविघि या सक्रियता नहीं दिखती।
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