अधिकारियों ने एडवांस निकाला, नहीं दे रहे हिसाब
रांची। झारखंड सरकार की ट्रेजरी से 2,812 करोड़ रुपए गायब हो गए हैं। इसका हिसाब नहीं मिल रहा है। इसमें 23 साल पहले एडवांस के रूप में निकाली गई राशि भी शामिल है। राज्य सरकार के कई विभागों के अधिकारी बार-बार निर्देश के बाद भी सरकारी कामकाज के लिए एडवांस पैसा लेकर उसका हिसाब नहीं दे रहे हैं।
डेढ़ माह पहले तत्कालीन मुख्य सचिव एल खियांग्ते और वित्त सचिव प्रशांत कुमार ने संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें सभी विभागीय प्रधानों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि पेंडिंग एसी बिल के समायोजन के लिए उन कार्यालयों से नियमित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करें। एसी बिल से निकाली गई एडवांस राशि अब तक खर्च नहीं हुई है, तो उन्हें वापस राजकोष में जमा कराएं। लेकिन, अब तक इस दिशा कुछ नहीं हुआ।
क्या है नियमः
एसी बिल से निकाले गए बतौर एडवांस का हिसाब एक माह में जमा करने का प्रावधान है। हिसाब दिए बिना आगे एडवांस नहीं निकालने के निर्देश के बाद भी यह सिलसिला जारी है। एसी बिल से निकाले गए एडवांस का हिसाब डीसी बिल द्वारा महालेखाकार को देना होता है।
एजी ने दी ये रिपोर्टः
पांच माह पहले महालेखाकार यानी एजी ने 4,937 करोड़ रुपए का डीसी बिल बकाया होने की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी थी। उनमें से 1,698 करोड़ रुपए का समायोजन हुआ है।
426 करोड़ का डीसी बिल एजी को भेजा गया है, लेकिन उसका समायोजन नहीं हुआ है, वह प्रक्रिया में है। वर्तमान में 2,812 करोड़ रुपए की राशि का कोई हिसाब-किताब यानी डीसी बिल नहीं है।
उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीः
राजस्व पर्षद के तत्कालीन सदस्य एपी सिंह की अध्यक्षता में एसी-डीसी और अन्य वित्तीय मामलों को लेकर उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई थी। मार्च 2023 में बड़ी संख्या में डीसी बिल लंबित रहने के कारणों की समीक्षा की गई थी।
इस संबंध में वित्त और ग्रामीण विकास विभाग को स्पष्ट करने को कहा गया था कि किस एजेंसी तथा किस जिले से अब तक बिल नहीं आए हैं। बिल लंबित रहने के कारण क्या हैं, इस स्थिति को नियंत्रित किया जाए।
ग्रामीण विकास के 411 करोड़ दूसरे विभागों ने निकालेः
एसी बिल के जरिए एडवांस निकासी और उसका हिसाब नहीं देने के मामले में 23 सितंबर को वित्त विभाग ने प्रशासी विभागों के अधिकारियों की समीक्षा बैठक बुलाई थी। जिसमें यह उजागर हुआ कि ग्रामीण विकास विभाग को मांग के अनुरूप दिए गए आवंटन से 411 करोड़ रुपए दूसरे विभागों द्वारा निकाल लिए गए हैं। इस कारण उस रकम का हिसाब नहीं मिल पा रहा है।
वित्त विभाग ने ये निर्देश दिया थाः
इसके बाद वित्त विभाग ने ग्रामीण विकास विभाग के नोडल अफसर को निर्देश दिया था कि बिना आवंटन और उप आवंटन के दूसरे विभाग द्वारा कैसे राशि की निकासी की गई, इसकी जांच करें। दोषी को चिह्नित कर राशि समायोजित करने की व्यवस्था करें।
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