Tuesday, June 24, 2025

16th Finance Commission: जानिये, झारखंड ने क्या-क्या मांगा 16वें वित्त आयोग से [Know what Jharkhand asked for from the 16th Finance Commission]

16th Finance Commission:

रांची। झारखंड सरकार ने राज्य के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए 16वें वित्त आयोग के समक्ष 3.03 लाख करोड़ रुपये की बड़ी वित्तीय सहायता की मांग रखी है। आयोग के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक में राज्य के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया को यह प्रस्ताव सौंपा। इस राशि का उपयोग अगले पांच वर्षों में राज्य के 23 विभागों के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत संरचना, ग्रामीण विकास जैसी प्राथमिक योजनाओं पर किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि इससे पहले 15वें वित्त आयोग से झारखंड ने लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन केवल 12,398 करोड़ रुपये ही स्वीकृत हुए थे। इससे कई जरूरी योजनाएं अधूरी रह गईं। इस बार राज्य सरकार ने बकाया राशि की भी मांग दोहराई है।
इसके अलावा, जुलाई 2017 से जुलाई 2022 तक जीएसटी क्षतिपूर्ति के अंतर्गत मिलने वाली राशि भी बंद हो चुकी है, जिससे झारखंड को लगभग 61,670 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

सरकार ने आयोग से इस नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त अनुदान की भी मांग की है।
उन्होंने कहा कि झारखंड एक उत्पादक राज्य है, लेकिन राजस्व में घाटा होता है, जिसे देखते हुए यह विशेष पैकेज आवश्यक है। बैठक में मंत्री रामदास सोरेन, योगेंद्र प्रसाद और मुख्य सचिव अलका तिवारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहे।
राज्य सरकार ने वित्त आयोग के समक्ष प्रत्येक जिले को प्रतिवर्ष 10-10 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की मांग की है।

16th Finance Commission: विशेष केंद्रीय सहायता से

24 जिलों के लिए प्रतिवर्ष 240 करोड़ रुपये की मांग की गई है। पांच वर्ष के लिए यह राशि 1200 करोड़ रुपये होगी। राज्य सरकार ने बताया कि विशेष केंद्रीय सहायता के तहत संचालित योजनाओं को आगे भी जारी रखीं जायें। पूर्व में विशेष केंद्रीय सहायता के तहत प्रथम एवं दूसरे चरण में एक हजार योजनाएं ली गई थीं।

16th Finance Commission: उग्रवाद की समस्या कम हुईः

उन योजनाओं के संचालन से राज्य में उग्रवाद की समस्या में कमी आई तथा गांवों में मूलभूत सुविधाएं भी बढ़ीं। रोजगार की संभावनाओं में भी वृद्धि हुई। राज्य सरकार ने कई आंगनबाड़ी केंद्रों के अपने भवन नहीं होने, स्कूलों में ड्राप आउट अधिक होने तथा सकल नामांकन अनुपात कम होने का हवाला देते हुए इसके लिए भी राशि की मांग की है।

स्वास्थ्य में संस्थागत प्रसव की दर को बढ़ाने तथा आधारभूत संरचनाओं के लिए राशि की मांग की गई है। सड़कों के निर्माण के लिए भी राशि की मांगी गई। बताते चलें कि वित्त आयोग की टीम ने अपने दौरे के क्रम में राज्य के वित्तीय प्रबंधन की समीक्षा की और अनुदान तथा केंद्रीय सहायता के बारे में जानकारी ली कि उनका किस तरह से खर्च किया जा रहा है। इसके अलावा टीम ने यह भी देखा कि राज्य के सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में क्या काम हुआ है।

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