सीएम को भेजा गया पिछड़ा वर्ग अध्यक्ष की नियुक्ति का प्रस्ताव, निकाय चुनाव की जल्द हो सकती है घोषणा [Proposal for appointment of backward class president sent to CM, civic body elections may be announced soon]

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रांची। झारखंड में निकाय चुनाव की घोषणा जल्द हो सकती है। चुनाव को लेकर सैद्धांतिक सहमति बनी है। इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष व सदस्य पद पर नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार अगले सप्ताह आयोग के अध्यक्ष व सदस्य के एक पद पर नियुक्ति कर दी जाएगी। उम्मीद है कि राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष पद पर भी साथ साथ नियुक्ति होगी। क्योंकि राज्य निर्वाचन आयुक्त के बगैर निकायों का चुनाव संभव नहीं है। मतदाता सूची का प्रकाशन, वार्डों और बूथों का गठन, इवीएम की उपलब्धता जैसी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकेगी।

दुर्गा पूजा से पहले चुनाव संभवः

इन नियुक्तियों के बाद राज्य में नगर निकायों के चुनाव की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ेगी। फिर बरसात बाद और दुर्गा पूजा से पूर्व राज्य में निकायों के चुनाव करा लेने की कोशिश है।

हाईकोर्ट में बढ़ सकती है सरकार की मुश्कलः

जनवरी 2016 में पूर्व पार्षद रोशनी खलखो द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट में जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने राज्य सरकार को चार महीने के अंदर निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था। उस दिन मुख्य सचिव और नगर विकास सचिव खुद अदालत में उपस्थित होकर कोर्ट को चार महीने के भीतर चुनाव कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन, चार महीने की तिथि 16 मई को ही समाप्त हो गयी। अब हाईकोर्ट में निकाय चुनाव पर किसी भी दिन अगली सुनवाई हो सकती है। उस दिन सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती थी। संभवतः इससे बचने के लिए राज्य सरकार ने पहले ही चुनाव कराने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।

झारखंड 1600 करोड़ से वंचितः

चुनाव नहीं कराने से अब तक झारखंड को लगभग 1600 करोड़ से अधिक की राशि केंद्र से अनुदान के रूप में प्राप्त नहीं हो सका है। पिछले दिनों रांची आयी 16 वें वित्त आयोग की टीम ने भी स्पष्ट कर दिया था कि चुनाव नहीं कराने की स्थिति में यह राशि मिलना मुश्किल है। इसलिए भी राज्य सरकार अब निकाय चुनाव को टाल कर झारखंड को केंद्रीय अनुदान से वंचित नहीं रखना चाह रहा है। मालूम हो कि निकायों में केंद्रीय अनुदान के नहीं मिलने की वजह से कई योजनाएं लंबित है। साथ ही भविष्य की नयी योजनाओं के कार्यान्वयन में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।

पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के कारण लटका है चुनावः

राज्य सरकार ट्रिपल टेस्ट के आधार पर चुनाव कराने का फैसला कर चुकी है। इसके लिए पिछड़ा वर्ग आयोग को राज्य में ट्रिपल टेस्ट कराने का आदेश दिया था। राज्य सरकार के आदेश पर आयोग ने सभी 24 जिलों में ट्रिपल टेस्ट का काम पूरा कर लिया गया है। उसके कंपाइलेशन के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया जारी है। कंपाइलेशन के बाद आंकड़े को राज्य सरकार को भेजना है। लेकिन, आयोग में अध्यक्ष के ही नहीं रहने के कारण यह संभव नहीं है। मालूम हो कि पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष के अलावा सदस्य के तीन पद हैं। सदस्य पद पर नंद किशोर मेहता और लक्ष्मण यादव पदस्थापित हैं। लेकिन, अध्यक्ष के अलावा सदस्य का एक पद अभी रिक्त है। आयोग का पूर्ण गठन हो जाने पर ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी और चुनाव कराने का मार्ग पूरी तरह प्रशस्त हो जाएगा।

2020 से ही लंबित है निकायों के चुनावः

राज्य के 13 नगर निकायों में वर्ष 2020 से ही चुनाव लंबित है। दूसरी ओर 35 अन्य शहरी निकायों का कार्यकाल भी वर्ष 2023 के मार्च-अप्रैल महीने में समाप्त हो चुका है। 2020 में राज्य सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए चुनाव को टाल दिया था। बाद में फिर चुनाव में पिछड़ों के आरक्षण को लेकर मामला लटका। फिर ट्रिपल टेस्ट कराने के मुद्दे पर समय बीता। मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो सरकार सक्रिय हुई। लेकिन लोकसभा और विधानसभा चुनाव के कारण भी मामला फंसा। अब सरकार के पास चुनाव को लटकाने का कोई ठोस बहाना नहीं रह गया है।

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