दयानंद राय
रांची : रामगढ़ उपचुनाव में चुनावी लड़ाई भले ही महागठबंधन और एनडीए उम्मीदवार के बीच हो पर उसका केंद्र बिन्दु अब एक मासूम बनता जा रहा है। वो मासूम जिसकी मां और पूर्व विधायक ममता देवी जेल में हैं और जिसका पिता बजरंग महतो खुद महागठबंधन उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है। इस मासूम की तस्वीरें न सिर्फ अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं बल्कि वह रामगढ़ उपचुनाव में गेमचेंजर भी बन सकता है।
इस बच्चे की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रविवार को गोला में चुनावी सभा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि रामगढ़ की पूर्व विधायक ममता देवी के महीने भर के मासूम बच्चे की क्या गलती थी? विपक्ष ने उससे उसकी मां का दूध भी छुड़ा दिया। इन्हें इस मासूम बच्चे की हाय जरूर लगेगी।
रामगढ़ उपचुनाव में यहां की जनता झारखंड की आदिवासी-मूलवासी सरकार के हाथ मजबूत करने के लिए अपना वोट डालेगी। पूर्व विधायक ममता देवी और उनके मासूम बच्चे के लिए चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि 27 फरवरी को एक नंबर पर बटन दबाकर कांग्रेस (महागठबंधन) प्रत्याशी बजरंग महतो को भारी मतों से विजयी बनायें।
क्या मासूम के जरिये सहानुभूति बटोरना चाहता है गठबंधन
रामगढ़ उपचुनाव में जिस प्रकार ममता देवी के मासूम को केंद्र में रखकर बयानों के तीर चल रहे हैं उससे बजरंग महतो के पक्ष में सहानुभूति बटोरने की कोशिश की जा रही है। बीते विधानसभा चुनाव में ममता देवी के पक्ष में सहानुभूति की लहर ने ही उन्हें चुनाव जिताने और चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी को चुनाव में हार का मुंह दिखाने में भूमिका निभायी थी।
दिलचस्प तो ये है कि विपक्ष के पास इस मासूम की तरह कोई चेहरा नहीं है। विपक्ष को चुनाव प्रचार में सिर्फ भाजपा और आजसू के दिग्गज नेताओं के चुनाव प्रचार का भरोसा है वहीं महागठबंधन को अपने नेताओं के साथ इस बच्चे की मदद से रणक्षेत्र जीतने का भरोसा है।
विपक्ष लगा रहा मासूम बच्चे के नाम पर राजनीति का आरोप
इधर, महागठबंधन की ओर से मासूम बच्चे के नाम पर वोट मांगने की विपक्ष ने आलोचना की है। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि रामगढ़ उपचुनाव में जब सारे मुद्दे खत्म हो गये तो सीएम मासूम बच्चे को आगे करके वोट मांग रहे हैं। नियमत: जिस बच्चे को मां के साथ होना चाहिए उसका बचपन और एक मां के वात्सल्य को तिलांजलि देकर उसका राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कितना उचित है।
जाहिर है कि महागठबंधन और एनडीए के ममता के मासूम को लेकर अपने-अपने दावे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि 2 मार्च को ऊंट किस करवट बैठता है और 27 मार्च को वोट करते समय जनता का मूड क्या रहता है।