आज के समाज में “शुगर डैडी“ और “शुगर मॉम “ शब्दों का प्रयोग काफी बढ़ गया है, और ये शब्द खासतौर पर सोशल मीडिया , टीवी शो और फिल्मों में चर्चा में आते रहते हैं। इन शब्दों का मुख्यत: उपयोग उन रिश्तों को दर्शाने के लिए किया जाता है, जहां एक अधिक उम्र या आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति अपने से कम उम्र के साथी को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, अक्सर बदले में रोमांटिक या शारीरिक संबंध की उम्मीद करते हुए।
यह शब्द पहले पश्चिमी देशों में प्रचलित था, लेकिन अब भारतीय समाज सहित अन्य देशों में भी इनका उपयोग बढ़ गया है, खासकर युवा पीढ़ी में।
क्या हैं शुगर मॉम ?
“शुगर मॉम ” शब्द का आमतौर पर उन महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो अपने से कम उम्र के लड़को को अपना साथी बनाती है। ठीक वैसे ही जैसे “शुगर डैडी” में पुरुष अपने से कम उम्र के लड़कियों के साथ संबंध बनाते है। इस तरह के संबंध में जहां लड़कों या लड़कियां को रोमांटिक या शारीरिक संबंधों के लिए को पैसा या लक्ज़री सामान मिलता हैं।
भारतीय समाज में यह शब्द एक विशेष प्रकार के रिश्ते को दर्शाता है, जो आमतौर पर समाज में नार्मल नहीं होता। दरअसल इस तरह के रिश्ते में देखा जाए तो जो लोग एकांत रहते हैं या किसी रिश्ते में है लेकिन खुश नहीं हैं। वे अपने से कम उम्र के लड़के या लड़कियों से अपनी ख्वाहिशात पूरी करते है। कुछ लोग इसे नकारात्मक रूप में देखते हैं, क्योंकि इसे एक प्रकार के लेन-देन के रूप में देखा जाता है, जिसमें एक पक्ष (शुगर मॉम) आर्थिक रूप से मजबूत होती है और दूसरा पक्ष उसकी सहायता के बदले रोमांटिक या शारीरिक संबंध प्रदान करता है।
इस दृष्टिकोण से यह रिश्ता शोषणकारी और अस्वस्थ हो सकता है, क्योंकि इसमें शक्ति और वित्तीय असंतुलन होता है। वहीं, कुछ लोग इसे महिला और पुरुष दोनों के लिए सशक्तिकरण के रूप में देखते हैं, क्योंकि इन रिश्तों में वे अपनी इच्छाओं और जरूरतों के आधार पर फैसले ले सकते हैं, और ये वित्तीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हैं।
व्यक्तिगत दृष्टिकोण के आधार पर, कुछ लोग इसे पारस्परिक रूप से लाभकारी मानते हैं, जहां दोनों पक्ष अपनी इच्छाओं और जरूरतों के आधार पर एक दूसरे से सहायता प्राप्त करते हैं। हालांकि, दूसरों के लिए, यह रिश्ते शोषणपूर्ण हो सकते हैं, खासकर जब एक पक्ष दूसरे पर दबाव डालकर अपनी इच्छाएं पूरी करवाता है।
अंत में, शुगर मॉम के रिश्ते को “बुरा” या “अच्छा” माना जाए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि रिश्ते में सहमति, पारदर्शिता, और सम्मान है या नहीं। यदि ये रिश्ते पारस्परिक रूप से लाभकारी और सहमतिपूर्ण हैं, तो इन्हें सकारात्मक रूप से देखा जा सकता है। लेकिन यदि इनमें शोषण या शक्ति का असंतुलन होता है, तो यह चिंता का कारण बन सकता है। रिश्ते में दोनों पक्षों का आदर और उनके अधिकारों का सम्मान करना महत्वपूर्ण होता है।
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