रांची। सीबीआई के विशेष न्यायाधिश की अदालत ने एकीकृत बिहार में हुए अलकतरा घोटाले के मामले की सुनवाई के बाद तत्कालीन मंत्री इलियास हुसैन सहित पांच को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही 32-32 लाख रुपए का अर्थ दंड लगाया है।
अर्थ दंड नहीं जमा करने की स्थिति में उन्हें अतिरिक्त छह माह के कारावास की सजा भुगतने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सात अभियुक्तों को सबूत के आभाव में बरी कर दिया है। इलियास हुसैन सहित तीन-तीन साल की सजा पाए सभी लोगों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
28 साल पहले अलकतरा घोटाले में दर्ज हुआ था मामला
28 साल पहले हुए अलकतरा घोटाले के सिलसिले में सीबीआइ ने कई प्राथमिकी दर्ज की थी। कोर्ट ने आज जिस मामले में फैसला सुनाया, वह सीबीआइ की प्राथमिकी संख्या आरसी11/97 से संबंधित है। सीबीआइ ने मामले की जांच कर कोर्ट में आरोप पत्र सपर्पित किया था। इसमें यह कहा गया था कि वर्ष 1994 में रोड कंस्ट्रक्शन विभाग की हजारीबाग ईकाई में सड़क निर्माण के दौरान 510 मिट्रिक टन अलकतरा का घोटाला हुआ था।
जिसकी कीमत उस वक्त 27.70 लाख रुपए आंकी गई थी। सीबीआइ ने जांच में पाया था कि सड़क निर्माण के दौरान 510 एमटी अलकतरा की खरीद किए बिना ही उसे सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया हुआ दिखाया गया था। सीबीआई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को सुनने और दस्तावेज की जांच के बाद पूर्व मंत्री सहित पांच लोगों को दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की सजा सुनाई और सात लोगों को बरी कर दिया।
इस मामले में इलियास हुसैन, शाहाबुद्दीन बेग, पवन कुमार अग्रवाल, अशोक कुमार अग्रवाल और विनय कुमार सिन्हा को तीन-तीन साल की सजा और 32-32 लाख का जुर्माना लगाया गया है। वहीं इस मामले में जी रामनाथ, एसपी माथुर, तरूण गांगुली, रंजन प्रधान, एस सिन्हा व एमसी अग्रवाल बरी हुए हैं।
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