Satyapal Malik:
नई दिल्ली, एजेंसियां। जम्मू-कश्मीर, बिहार और मेघालय के पूर्व राज्यपाल एवं अनुभवी राजनेता सत्यपाल मलिक का मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को दिल्ली में निधन हो गया। 79 वर्षीय मलिक ने राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से देश के राजनीतिक हलकों में शोक की लहर फैल गई और विभिन्न दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
एक किसान परिवार से शुरू हुआ सफर
सत्यपाल मलिक का जन्म जुलाई 1946 में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावादा गांव में हुआ था। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से बीएससी और बाद में कानून की पढ़ाई की। छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले मलिक ने 1966 में मेरठ कॉलेज स्टूडेंट यूनियन का चुनाव जीता और फिर मेरठ यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष बने।
विविध राजनीतिक दलों का हिस्सा रहे
चौधरी चरण सिंह की पार्टी बीकेडी से सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 1974 में विधायक बने और बाद में लोकदल के महासचिव भी रहे।1984 में कांग्रेस में शामिल हुए और राज्यसभा सांसद बने। लेकिन बोफोर्स घोटाले के विरोध में 1987 में पार्टी से अलग हो गए। अपनी पार्टी जन मोर्चा बनाई, जिसे बाद में जनता दल में मिला दिया। 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा चुनाव जीता और केंद्र में मंत्री पद भी संभाला। 2004 में भाजपा में शामिल हुए। पार्टी में उपाध्यक्ष और किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे पदों पर रहे।
राज्यपाल के रूप में कार्यकाल
2017 में बिहार,
2018 में जम्मू-कश्मीर,
2019 में गोवा,
और 2020 से 2022 तक मेघालय के राज्यपाल रहे। वे जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय राज्यपाल पद पर थे और उस कठिन समय में प्रशासनिक नेतृत्व उन्होंने ही संभाला।
विवादों में भी रहे
पद छोड़ने के बाद सत्यपाल मलिक ने कई बार सरकार की नीतियों की आलोचना की और किसानों के मुद्दों पर खुलकर बयान दिए। निधन से कुछ महीने पहले एक CBI केस में उनका नाम भी चर्चा में आया।
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