Tuesday, June 24, 2025

जानिए पाकिस्तान की धरती पर उसे खरी-खरी सुनानेवाले जावेद अख्तर को

रांची : हिंदी सिनेमा के गीतों को अपनी कलम से जादुई अंदाज़ देने वाले जावेद अख्तर इन दिनों चर्चा में हैं। उनकी चर्चा पाकिस्तान की धरती पर उसे ही खरी-खरी सुनाने को लेकर हो रही है। बीते दिनों लाहौर में आयोजित फैज महोत्सव में जावेद अख्तर ने पाकिस्तान को खूब जलील किया और उसे खरी-खरी सुना दी। अपने अलहदा अंदाज में उन्होंने कहा कि हमने तो नुसरत और मेहदी हसन के बड़े-बड़े फंक्शन किए। लेकिन आपके मुल्क में तो लता मंगेशकर का कोई फंक्शन नहीं हुआ, तो हकीकत ये है… चलिए अब हम एक दूसरे पर इल्जाम ना दें, अहम बात ये है आजकल जो फिजा इतनी गरम है, वो कम होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम तो बंबई के लोग हैं, हमने देखा हमारे शहर पर कैसे हमला हुआ था। वो लोग नॉर्वे से तो नहीं आए थे, और ना ही इजिप्ट से आए थे। वो लोग आपके मुल्क में अभी भी घूम रहे हैं। तो ये शिकायत अगर हर हिंदुस्तानी के दिल में है तो, आपको बुरा नहीं मानना चाहिए। उनका यह वीडियो वायरल हो गया है और इसे लोगों की तारीफ मिल रही है।

तो आइए हम जानते हैं इस उम्दा फनकार को। ग़जलों को एक नया और आसान रूप देने में जावेद साहब का बहुत बड़ा योगदान है। सलीम खान और जावेद अख्तर ने शोले, ज़ंजीर और न जाने कितनी कालजयी फ़िल्मों की पटकथा भी लिखी है। इस जोड़ी को सिनेमा में सलीम-जावेद के नाम से भी जाना जाता है। जावेद साहब को वर्ष 1999 को पद्म भूषण और 2007 में पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है। जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता जान निसार अखतर प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि और माता सफिया अखतर मशहूर उर्दु लेखिका तथा शिक्षिका थीं। उनकी मां का इंतकाल तब हो गया था जब वे बेहद ही छोटे थे। वालिद ने दूसरी शादी कर ली और कुछ दिन भोपाल में अपनी सौतेली मां के घर रहने के बाद भोपाल शहर में उनका जीवन दोस्तों के भरोसे हो गया। यहीं कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और जिन्दगी के नए सबक भी सीखे। मां के इंतकाल के बाद वह कुछ दिन अपने नाना-नानी के पास लखनऊ में रहे उसके बाद उन्हें अलीगढ अपने खाला के घर भेज दिया गया। जहां के स्कूल में उनकी शुरूआती पढाई हुई। उसके बाद वह वापस भोपाल आ गये, यहां आकर उन्होंने अपनी पढाई को पूरा किया। जावेद अख्तर की पहली पत्नी हनी ईरानी थीं। जिनसे उन्हें दो बच्चे है फरहान अख्तर और जोया अख्तर उनके दोनों ही बच्चे हिंदी सिनेमा के जाने माने अभिनेता, निर्देशक-निर्माता हैं। उनकी दूसरी पत्नी हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री शबाना आजमी हैं। जावेद अख्तर ने अपने करियर की शुरुआत सरहदी लूटेरा फिल्म से की थी। इस फिल्म में सलीम खान ने एक छोटी सी भूमिका भी अदा की थी। इसके बाद सलीम-जावेद की जोड़ी ने मिलकर हिंदी सिनेमा के लिए कई सुपर-हिट फिल्मो की पटकथाएं लिखी। इन दोनों की जोड़ी को उस दौर में सलीम जावेद की जोड़ी से जाना जाता था। इन दोनों की जोड़ी ने वर्ष 1971-1982 तक करीबन 24 फिल्मों में साथ किया जिनमे सीता और गीता, शोले, हठी मेरा साथी, यादों की बारात, दीवार जैसी फिल्मे शामिल हैं। उनकी 24 फिल्मों में से करीबन 20 फ़िल्में बॉक्स-ऑफिस पर ब्लाक-बस्टर हिट साबित हुई थी। 1987 में प्रदर्शित फिल्म मिस्टर इंडिया के बाद सलीम-जावेद की सुपरहिट जोड़ी अलग हो गई। इसके बाद भी जावेद अख्तर ने फिल्मों के लिए संवाद लिखने का काम जारी रखा। जावेद अख्तर को मिले सम्मानों को देखा जाए तो उन्हें उनके गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 1999 में साहित्य के जगत में जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें पदमश्री से नवाजा गया। 2007 में जावेद अख्तर को पदम भूषण सम्मान से नवाजा गया।

अब जानते हैं जावेद अख्तर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

जावेद का असली नाम जादू है

जावेद अख्तर का असली नाम जादू है। उनके पिता की कविता थी, ‘लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा’ से उनका यह नाम पड़ा था। जावेद नाम जादू से मिलता-जुलता, इसलिए उनका नाम जावेद अख्तर कर दिया।

जावेद अख्तर ने कई रातें सड़कों पर सोकर बितायीं हैं

जावेद अख्तर 4 अक्टूबर 1964 को मुंबई आए थे। उस वक्त उनके पास न खाने तक के पैसे नहीं थे. उन्होंने कई रातें सड़कों पर खुले आसमान के नीचे सोकर बिताईं। बाद में कमाल अमरोही के स्टूडियो में उन्हें ठिकाना मिला।

सलीम-जावेद की जोड़ी ने हिन्दी सिनेमा को कई सुपरहिट फिल्में दी हैं

सलीम खान के साथ जावेद अख्तर की पहली मुलाकात ‘सरहदी लुटेरा’ फिल्म की शूटिंग के दौरान हुई थीं। इस फिल्म में सलीम खान हीरो थे और जावेद क्लैपर बॉय। बाद में इन दोनों ने मिलकर बॉलीवुड को कई सुपरहिट फिल्में दीं।

उर्दू में स्क्रिप्ट लिखते थे जावेद अख्तर

सलीम खान और जावेद अख्तर को सलीम-जावेद बनाने का श्रेय डायरेक्टर एसएम सागर को जाता है। एक बार उन्हें राइटर नहीं मिला था और उन्होंने पहली बार इन दोनों को मौका दिया।
सलीम खान स्टोरी आइडिया देते थे और जावेद अख्तर डायलॉग लिखने में मदद करते थे। जावेद अख्तर उर्दू में ही स्क्रिप्ट लिखते थे, जिसका बाद में हिंदी अनुवाद किया जाता था। 60-70 के दशक में स्क्रिप्ट राइटर्स का नाम फिल्मों के पोस्टर पर नहीं दिया जाता था, लेकिन सलीम-जावेद ने बॉलीवुड में उन बुलंदियों को छू लिया था कि उन्हें कोई ना नहीं कह सका और फिर तो पोस्टरों पर लेखकों का भी नाम लिखा जाने लगा।

1982 में टूट गयी थी सलीम-जावेद की जोड़ी

सलीम-जावेद की जोड़ी 1982 में टूट गई थी. इन दोनों ने कुल 24 फिल्में एक साथ लिखीं, जिनमें से 20 हिट रहीं। जावेद अख्तर को 14 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला।इनमें सात बार उन्हें बेस्ट स्क्रिप्ट के लिए और सात बार बेस्ट लिरिक्स के लिए अवॉर्ड से नवाजा गया।जावेद अख्तर को 5 बार नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है।

हनी ईरानी हैं जावेद की पहली पत्नी

जावेद अख्तर की पहली पत्नी हनी ईरानी थीं, जिनके साथ उनकी पहली मुलाकात ‘सीता और गीता’ के सेट पर हुई थी। हनी और जावेद का जन्मदिन एक ही दिन पड़ता है।

नास्तिक हैं जावेद अख्तर

जावेद अख्तर नास्तिक हैं। उन्होंने अपने बच्चों जोया और फरहान की भी परवरिश ऐसे ही की है। जावेद अख्तर शुरुआती दिनों में कैफी आजमी के सहायक थे। बाद में उन्हीं की बेटी शबाना आजमी के साथ उन्होंने दूसरी शादी की।

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