Cloudburst :
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में हाल ही में बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई है। सैंज घाटी में हुई इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग बाढ़ में बह गए। इस तरह की घटनाएं अक्सर पहाड़ी इलाकों में होती हैं और इसका वैज्ञानिक कारण भी है।
Cloudburst :बादल फटना क्या होता है?

सामान्य धारणा के विपरीत बादल फटना कोई ‘गुब्बारे की तरह फटना’ नहीं होता, बल्कि यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। जब एक घंटे में 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश होती है, तब इसे बादल फटना या क्लाउडबर्स्ट कहा जाता है। ये बारिश जमीन से 12-15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है और इससे मूसलाधार बारिश होती है।
Cloudburst : बादल कैसे और क्यों फटते हैं?
बादल तब फटते हैं जब पानी से भरे बादल किसी खास स्थान पर रुक जाते हैं और उनमें मौजूद पानी की बूंदें एक साथ जुड़ जाती हैं। इसका वजन बढ़ जाने से बादलों का घनत्व इतना बढ़ जाता है कि वे भारी बारिश के रूप में फट जाते हैं। भारी नमी और पानी के कारण बादल फटते हैं, खासकर जब उनके मार्ग में कोई बाधा आ जाती है।

Cloudburst : सिर्फ पहाड़ों पर क्यों होती है बादल फटने की घटना?
बारिश के मौसम में बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं क्योंकि पहाड़ उनके रास्ते में बाधा बन जाते हैं। हवा के साथ बढ़ते हुए बादल जब पहाड़ों से टकराते हैं, तो वे आगे नहीं बढ़ पाते और एक जगह रुक जाते हैं। बादलों में मौजूद पानी का घनत्व बढ़ जाता है और अचानक तेज बारिश होती है। इस वजह से बादल फटना जैसी घटनाएं ज्यादातर पहाड़ों में ही होती हैं। मैदानी इलाकों में ये घटनाएं कम देखने को मिलती हैं, लेकिन असामान्य परिस्थितियों में वहां भी हो सकती हैं।
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