पंचायती राज अधिनियम 1947 के तहत, ग्राम सभा, ग्राम पंचायत और पंचायत अदालत जैसी संस्थाओं का गठन किया गया था। इस अधिनियम के माध्यम से ग्राम प्रधान के चुनाव का प्रावधान भी किया गया था। भारत में पंचायती राज से जुड़े प्रावधान 73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के जरिए संविधान में जोड़े गये थे।
यह संशोधन 24 अप्रैल 1993 को पूरे देश में लागू हुआ था। इसे भारत के सभी राज्यों में राज्य विधानमंडल, अधिनियमों द्वारा जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।
पंचायती राज अधिनियम से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
-भारत के संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के बाद शक्तियों और जिम्मेदारियों का बंटवारा स्थानीय स्वशासन तक किया गया
-पंचायत राज मंत्रायलय, पंचायती राज और पंचायती राज संस्थानों से जुड़े मामले को देखता है
-पंचायती राज मंत्रालय की स्थापना मई 2004 में हुई थी
-ग्राम पंचायतें, ग्राम की स्वच्छता, प्रकाश, सड़कों, औषधालयों, कुओं की सफाई और मरम्मत, सार्वजनिक भूमि बाजार और चारागाहों की व्यवस्था करती है
-ग्राम पंचायतें, जन्म मृत्यु का लेखा रखती है
-ग्राम पंचायतें खेती, उद्योग धंधों और व्यवसायों की उन्नति करती है
-ग्राम पंचायतें बीमारियों की रोकथाम करती है
-ग्राम पंचायतें शमशानों और क्रबिस्तान की देखभाल करती है
पंचायती राज अधिनियम से किसको मिलता है फायदा
पंचायती राज संस्थाओं को 14 विभाग के 29 विषयों के अधिकार मिले हैं। जिसका फायदा ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को होता है। गांवों की सरकार के माध्यम से छोटी-छोटी सड़के, नालियों का निर्माण, पेयजल, सामुदायिक भवन, सड़कों पर लाइट, खेलकूद के संसाधन उपलब्ध कराये जाते हैं।
इसके अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, खाद्य सुरक्षा से लेकर सामाजिक मुद्दों से जुड़े अधिकार का लाभ सीधे ग्रामीणों को मिलता है।
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