किसी सीओ ने अब यदि दाखिल खारिज में देरी की या अड़चन डाली, तो उन्हें इसके कड़े परिणाम भुगतने होंगे। तकनीकी कारणों से किसी आवेदन को अस्वीकृत करना अंचलाधिकारियों को अब भारी पड़ सकता है। राज्य के भू-राजस्व मंत्री दीपक बिरुआ ने निर्देश दिया है कि रैयतों के आवेदनों को बेवजह रिजेक्ट करने पर अंचलाधिकारी कार्रवाई के दायरे में आ जाएंगे।
इसके साथ ही अंचलों में दाखिल खारिज से संबंधित मामलों पर आवेदनों को अस्वीकृत करने या आपत्ति के कारणों को सीओ को 50 शब्दों में ठोस बातें लिखकर स्पष्ट कारण बताना अनिवार्य है।
मंत्री दीपक बिरुआ बिरुआ ने कहा कि कई बार तकनीकी कारणों से झारभूमि साइट नहीं खुलने की बातें लिखकर, अंचल अधिकारी आवेदनों को जिस तरह रिजेक्ट करते रहे हैं, ऐसा बहाना अब नहीं चलेगा। जमीन मामले में अंचलों में कई गड़बड़ियां हैं, जिसके कारण सरकार को फजीहत झेलनी पड़ती है। इसलिए सभी अंचल अधिकारी सचेत होकर ईमानदारी से अपना काम करें।
मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि कई माडर्न रिकार्ड रूम से खतियान निकालने पर सही छपाई नहीं होती है। खतियान फोटो कापी नहीं दिखता है। ऐसी विसंगतियों को दुरुस्त किया जाए। स्पष्ट स्कैनिंग नहीं होने पर रैयतों को अपने जमीन की सही जानकारी नहीं मिलती। माडर्न रूम में कैथी और बांग्ला भाषा में लिखे खतियानों को अनुवाद करने की सुविधा आवश्यक है।
एनएचएआई कार्य परियोजना को लेकर मंत्री ने दो टूक कहा कि जहां-तहां आरओबी बनाने के चक्कर में ग्रामीण सड़कों को छोड़ दिया जाता है, जो गलत है। आरओबी ऊपर में बनने और नीचे जगह छूटने से आमजनों को परेशानियां होती है। उन्होंने भू-अधिग्रहण को लेकर समय पर मुआवजा दिलाने की बात कही।
मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि एनएचएआइ की जिम्मेवारी है कि पदाधिकारी भूमि अधिग्रहण संबंधित समस्याओं का त्वरित समाधान करें।
कहा कि कमजोर प्रदर्शन करनेवाले अंचलों की समीक्षा कर सुधारात्मक रणनीति अपनाई जाएगी। उन्होंने एलआरडीसी और अपर समाहर्ता को अंचलों में लगने वाले कैंप की विशेष निगरानी करने का निर्देश दिया।
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