Pig kidney human trial:
वाशिंगटन, एजेंसियां। वाशिंगटन में वैज्ञानिकों ने इंसानों के शरीर में सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट करने का पहला क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है। इस प्रयोग का उद्देश्य यह जानना है कि क्या जीन-संपादित सुअर की किडनी इंसानों के शरीर में लंबे समय तक काम कर सकती है और किडनी फेल्योर के मरीजों की जिंदगी बचा सकती है।
क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत:
यूनाइटेड थेरेप्यूटिक्स नामक अमेरिकी कंपनी ने इस क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत की है। कंपनी ने बताया कि न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (NYU Langone Health) में पहला ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया। इस प्रयोग में सुअर की किडनी को 10 जीन एडिट्स के साथ तैयार किया गया है—कुछ जीन हटाए गए हैं जो अंग अस्वीकार (rejection) और अत्यधिक वृद्धि को ट्रिगर करते हैं, वहीं कुछ मानव जीन जोड़े गए हैं ताकि अंग शरीर में बेहतर तरीके से काम कर सके।
डॉ. रॉबर्ट मोंटगोमरी ने बताया:
ट्रांसप्लांट टीम के प्रमुख डॉ. रॉबर्ट मोंटगोमरी ने बताया कि शुरुआती परीक्षण में छह मरीज शामिल होंगे, और अगर परिणाम सकारात्मक रहे तो यह संख्या बढ़ाकर 50 तक की जा सकती है। इससे पहले भी कुछ सीमित प्रयोगों में सुअर की किडनी इंसानों में लगाई गई थी। अलबामा की एक महिला 130 दिन तक सुअर की किडनी के साथ जीवित रही थी, जबकि न्यू हैम्पशायर के एक व्यक्ति ने 271 दिनों तक इसका रिकॉर्ड बनाया।
डॉ. मोंटगोमरी ने कहा:
डॉ. मोंटगोमरी ने कहा कि हर प्रयोग से नई जानकारी मिल रही है और डायलिसिस पर लौटने की क्षमता एक “सुरक्षा कवच” की तरह काम करती है। अमेरिका में फिलहाल 1 लाख से अधिक लोग किडनी ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा सूची में हैं, जिनमें से कई की मौत इंतजार के दौरान हो जाती है। ऐसे में सुअर की जीन-संपादित किडनी को मानव प्रतिरक्षा प्रणाली के अनुकूल बनाना ट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांतिकारी संभावना के रूप में देखा जा रहा है।
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