नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार 8 नवंबर यानी आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान बेंच सुनाएगी। केंद्र सरकार ने इस मामले में सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि इसे (AMU) को अल्पसंख्यक खांचे में रखना सही नहीं है।
इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, CJI के लिए नामित चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के साथ जस्टिस मनोज मिश्रा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के निर्णय से यह तय होगा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान (Minority Institutions) के तौर पर दर्जा दिया जाए या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट आज अपने ऐतिहासिक फैसले में यह तय करेगा कि किसी शैक्षणिक संस्थान को संविधान के अनुच्छेद-30 (Article-30) के तहत अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने के मानदंड क्या हैं? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि संसदीय कानून की ओर से निर्मित कोई शैक्षणिक संस्थान क्या संविधान के आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त कर सकता है?
फरवरी में फैसला सुरक्षित रखाः
8 दिनों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी महीने मेंअलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में 11 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने रजिस्ट्रार के माध्यम से मूल याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल के साथ राजीव धवन, एमआर शमशाद ने दलीलें रखीं। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ नीरज किशन कौल और राकेश द्विवेदी ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें दी थी।
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