रांची। झारखंड में छठी विधानसभा गठन के लिए 20 नवंबर को मतदान संपन्न हो गया। मतदाताओं ने अपना फैसला दे दिया है। फैसला 23 नवंबर को सामने आएगा। लेकिन इस विधानसभा चुनाव में ना हिंसा हुई और नहीं पुनर्मतदान की कही से कोई सूचना है।
यह अलग बात है कि इस बार की वोटिंग में एग्जिट पोल भी अपने-अपने ढंग से अनुमान लगाए हैं। कोई एनडीए को बढ़त दिखा रहा है तो कोई इंडिया ब्लॉक को। इतना तो तय है कि झारखंड के सभी एक 81 सीटों में 10 से 12 सीटों में लड़ाई कांटे की है। इसका फैसला ही तय करेगा कि झारखंड में सरकार किसकी बनेगी।
एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों उत्साह से लबरेज
यह अलग बात है कि संथाल परगना में इस बार जमकर वोटिंग हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी वोटिंग कम नहीं हुई है। विशेष कर महिलाएं घरों से निकली हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। सबसे बड़ी बात है कि एनडीए भी उत्साहित है तो इंडिया ब्लॉक भी उत्साह से लबरेज है।
परिणाम तो 23 नवंबर को ही आएंगे। चुनाव प्रचार में इस बार एनडीए ने अपनी पूरी ताकत झोंकी तो इंडिया ब्लॉक भी पीछे नहीं रहा। विशेष कर इंडिया ब्लॉक में कल्पना सोरेन और हेमंत सोरेन ने चुनाव प्रचार में अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया।
2019 के चुनाव में भाजपा को 25 तो झारखंड मुक्ति मोर्चा को 30 और कांग्रेस को 16 सीट मिली थी। इस बार क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी। यह अलग बात है कि 2019 में चुनाव लड़े झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में विलय हो गया है। एके राय की पार्टी का माले में विलय हो गया है।
तो झारखंड में एक नया दल भी उभरा है। झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा सामने आया है। इस दल ने भी 75 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। कम से कम 10 सीटों पर इस दल के प्रत्याशी जितने प्रभाव डालेंगे, नतीजो में उतना ही उलट फेर हो सकता है।
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