रांची। विधायक रामदास सोरेन ने झारखंड सरकार ने चंपाई सोरेन की जगह ले ली है। शुक्रवार को उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली।
इसके साथ ही सियासी गलियारे में चर्चा है कि आखिर रामदास सोरेन ही क्यों। क्यों उन्हें मंत्री बनाया गया। तो ये एक गहरी राजनीतिक रणनीति है।
रामदास सोरेन को मंत्री बनाने के पीछे हेमंत सोरेन की बहुत बड़ी सियासी चाल है। इसके तहत हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन के सामने एक मजबूत नेता को रखा है।
रामदास सोरेन घाटशिला से दो बार विधायक रहे हैं। बीते गुरुवार को रामदास सोरेन शिलान्यास कार्यक्रम में व्यस्त थे।
फिर अचानक उनके फोन की घंटी बजने लगी और उधर से आवाज आया कि आपको मंत्री बनाया जा रहा है।
यह फोन सीएम हाउस से था। इसे सुन विधायक के संग उनके समर्थकों के चेहरे भी खिल उठे। ये वाक्या तब हुआ जब घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन अपने विधानसभा क्षेत्र के चेंगजोड़ा में एक शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे थे।
खुशखबरी से बिल्कुल थे अंजान
विधायक समर्थकों के संग अपने निर्धारित कार्यक्रमों पर निकले थे। उन्हें क्या मालूम था कि उसी क्षण ही खुशखबरी उन्हें मोबाइल में आने वाली थी। अचानक सीएम हाउस से फोन आ गया।
कौन हैं रामदास सोरेन
रामदास सोरेन भी चंपई सोरेन की तरह संथाल आदिवासी समाज से नाता रखते हैं और उनकी राजनीतिक धाक भी कोल्हान प्रमंडल में दिखती है।
रामदास सोरेन घाटशिला से दो बार विधायक चुने गए हैं। कहें तो हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन के जाने के बाद डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में लगे हैं।
कहा जाता है कि वह भी कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन के काफी निकट माने जाते हैं। बीते दिनों चंपाई सोरेन के दिल्ली प्रवास के दौरान भले ही कोल्हान के अन्य विधायकों के साथ रामदास ने भी चंपाई सोरेन से मुलाकात की थी। पर इधर अपुष्ट सूचना मिल रही थी।
चंपाई सोरेन के करीबी उनसे संपर्क कर रहे थे। उन्हें चंपाई के साथ ही बीजेपी में लाने की कोशिश भी हो रही थी। पर समय रहते इसकी सूचना हेमंत सोरेन को भी मिल गई।
फिर क्या था, सीएम ने अपनी चाल चल दी। चाल भी ऐसी कि एक ही तीर से दो शिकार कर लिये। पहला तो रामदास सोरेन को इधर-उधर भटकने से रोक लिया और दूसरा कि कोलहान टाइगर के सामने एक और सोरेन को खड़ा कर दिया।
एकाएक ही उन्होंने रामदास सोरेन को एकदम चंपाई सोरेन के समकक्ष महसूस करा दिया। हालांकि रामदास सोरेन भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के बड़े नेता माने जाते हैं।
पर अब कार्यकर्ता से लेकर खुद रामदास सोरेन तक अहसास करा दिया गया है कि वह चंपाई सोरेन बराबर आ गये हैं।
उधर हेमंत सोरेन की इस चाल से बीजेपी के सपनों पर भी पानी फिर गया है, जो पूरे कोल्हान पर अपनी निगाहें गड़ाये थी।
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