जानिये, धरती कांपने के क्या हैं कारण ?
तिब्बत के टिंगरी काउंटी में 7 जनवरी को आए भूकंप ने बड़े पैमाने पर विनाश और जानमाल का नुकसान पहुंचाया। इस भूकंप में अब तक 126 लोगों की मौत हो चुकी हैं। भूकंप की ये कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि कई घटनाएं सामने आती रहती हैं।
ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर धरती क्यों बार-बार कांपती है? साथ ही इस स्टोरी में ये भी जानेंगे कि धरती के नीचे ऐसा क्या होता है, जो उसके ऊपर सब डोलने लगता है।
तिब्बत में 7 जनवरी को आए भूकंप की तीव्रता इतनी तेज थी कि नेपाल से लेकर भारत के उत्तरी हिस्सों तक पूरी धरती कांप उठी। हालांकि ये है तो ये कुदरती आपदा ही फिर भी ये सवाल उठता है कि आखिर धरती क्यों बार-बार कांपती है? साथ ही इस खबर में ये भी जानेंगे कि धरती के नीचे ऐसा क्या होता है, जो उसके ऊपर सब डोलने लगता है।
धरती के अंदर होती रहती है उथल-पुथलः
धरती का बाहरी सतह शांत और स्थिर दिखता है, लेकिन इसके अंदर हमेशा उथल-पुथल होती रहती है। भूगर्भीय प्लेटों के टकराने के कारण हर साल सैकड़ों भूकंप आते हैं।
इस पर कई भूविज्ञान विशेषज्ञ बताते हैं कि हमारी धरती 12 टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो जो ऊर्जा निकलती है, वह भूकंप का कारण बनती है।
प्लेटों के टकराव से मचती है तबाहीः
धरती के नीचे मौजूद ये प्लेटें बेहद धीमी गति से घूमती रहती हैं। हर साल ये प्लेटें 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसकती हैं। इस दौरान कुछ प्लेटें एक-दूसरे से दूर हो जाती हैं और कुछ एक के नीचे सरक जाती हैं। इस खिसकने और टकराने की प्रक्रिया के कारण ही भूकंप आता है।
भूकंप के केंद्र को समझेः
भूकंप का केंद्र ही वह स्थान होता है जहां धरती के अंदर चट्टानें टूटती या टकराती हैं। इसे फोकस या हाइपोसेन्टर कहा जाता है। भूकंप की ऊर्जा इस केंद्र से तरंगों के रूप में फैलती है।
जब ये तरंगें धरती की सतह तक पहुंचती हैं, तो कंपन महसूस होता है। जहां यह ऊर्जा सतह को काटती है, उसको एपिसेंटर कहते हैं। यही स्थान भूकंप के सबसे नजदीक और प्रभावी होता है।
धरती के नीचे क्यों टूटती हैं चट्टानें ?
धरती की संरचना सात बड़े भूखंडों में विभाजित है, जैसे भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई भूखंड, उत्तर अमेरिकी भूखंड, और अफ्रीकी भूखंड. इन भूखंडों के नीचे की चट्टानें अत्यधिक दबाव में होती हैं। जब यह दबाव एक सीमा से अधिक हो जाता है, तो चट्टानें टूट जाती हैं और सालों से संचित ऊर्जा निकलती है।
समुद्र के नीचे भारी और महादवीप के नीचे हल्की होती है प्लेटः
धरती की सतह विशाल प्लेटों से बनी है, जो समुद्र और महाद्वीपों तक फैली हैं। इन परतों के नीचे मौजूद चट्टानें समुद्र के नीचे भारी और महाद्वीपों के नीचे हल्की होती हैं। जब चट्टानें टूटती हैं, तो यह ऊर्जा सतह पर पहुंचकर तबाही मचाती है।
दूर तक मचाती है तबाहीः
भूकंप के प्रभाव का सबसे ज्यादा असर उसके केंद्र के नजदीकी क्षेत्रों में होता है। जैसे-जैसे केंद्र से दूरी बढ़ती है, झटकों की तीव्रता और नुकसान का स्तर कम होता जाता ह।
यदि भूकंप का केंद्र गहराई में होता है, तो झटकों का प्रभाव सतह पर कम महसूस होता है, लेकिन यदि केंद्र सतह के करीब हो, तो इसका विनाशकारी प्रभाव अधिक होता है।
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