महाभारत का युद्ध क्यों हुआ?
महाभारत का युद्ध
द्वापर युग में धर्म की रक्षा के लिए महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। कुरुक्षेत्र में लड़े जाने के कारण इसे कुरुक्षेत्र का युद्ध भी कहा जाता है।
इस युद्ध की सबसे विशेष बात यह थी कि इसमें भगवान श्री कृष्ण स्वयं अर्जुन के सारथी बने थे।
यह भयावह युद्ध कुल 18 दिनों तक चला। क्या आप जानते हैं कि महाभारत का युद्ध क्यों हुआ।
महाभारत युद्ध का मुख्य कारण
महाभारत युद्ध का मुख्य कारण दुर्योधन का अहंकार था। वह पांडवों को एक सुई के बराबर भी भूमि देने को तैयार नहीं था।
वहीं, द्रौपदी का दुर्योधन को अंधे का पुत्र कहकर पुकारना भी महाभारत का एक कारण माना जाता है।
कौरवों और पांडवों का आपस में जुआ खेलकर द्रौपदी को दांव पर लगाना भी महाभारत युद्ध का एक कारण है।
इस युद्ध के होने में और भी कई कारण मौजूद हैं जिनमें से द्रौपदी चीरहरण भी एक मुख्य कारण है।
धृतराष्ट्र पुत्र मोह में डूब गए
कौरवों की महत्वकांक्षाएं चरम पर पहुंच गई थीं। वह अकेले ही सारा राज-पाट हड़प लेना चाहते थे।
राजा धृतराष्ट्र पुत्र मोह में इस कदर डूब गए थे कि उन्हें सही-गलत भी नजर नहीं आ रहा था।
महाभारत में 18 की संख्या का महत्व
महाभारत युद्ध में 18 की संख्या का अत्यंत महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि महाभारत ग्रंथ में कुल 18 अध्याय हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को 18 दिन गीता का ज्ञान दिया था। महाभारत का युद्ध भी 18 दिन तक चला था।
यहां तक की इस युद्ध के अंत में कुल 18 लोग ही बचे थे। दरअसल, महर्षि वेद व्यास ने गणेश जी की मदद से इस ग्रंथ का निर्माण 18 दिनों में ही किया था।
ऐसा माना जाता है कि जब इस ग्रंथ का निर्माण हुआ था तब तक महाभारत युद्ध नहीं हुआ था बल्कि महर्षि ने अपनी दिव्य दृष्टि से इस युद्ध को पहले ही देखकर रचा था और श्री गणेश ने इसे लिखा।
इसी कारण महाभारत ग्रंथ के 18 अध्याय 18 दिन में लिखे गए थे यानी कि 1 अध्याय 1 दिन में और उसी अध्याय के अंतर्गत होने वाली घटनाएं घटित हुईं।
ऐसे में महाभारत का युद्ध 18 अध्याय के अनुसार 18 दिन तक चला।
सरल शब्दों में कहें तो ग्रंथ के जिस अध्याय में जो-जो घटनाएं हुईं यह असल में जब युद्ध हुआ था तब भी सब वैसे ही घटित हुआ था और युद्ध 18 दिन तक चला।
भीम का दुर्योधन की जंघा पर प्रहार
महाभारत के अंतिम यानी अठारहवें दिन भीम, दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करते हैं, जिससे दुर्योधन की मृत्यु को हो जाती है और इस प्रकार दुर्योधन की मृत्यु होने से पांडव विजयी हो जाते हैं।
विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है महाभारत
महाभारत को महाकाव्य रूप में लिखा गया भारत का ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ माना जाता है।
यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य ग्रंथ है। इसमें लगभग एक लाख श्लोक हैं, जो इलियड और ओडिसी से सात गुना ज्यादा माना जाता है।
महाभारत का एक छोटा-सा हिस्सा मात्र है गीता। महाभारत में वेदों और अन्य हिन्दू ग्रंथों का सार निहित है।
महर्षि वेद व्यासजी ने लिखा महाभारत
महाभारत को महर्षि वेद व्यासजी ने लिखा था। महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में कब हुआ था इस संबंध में इतिहासकारों में मतभेद हैं।
भारतीय परंपरा, महाभारत और पौराणिक साहित्य अनुसार यह पांच हजार वर्ष पूर्व हुआ था।
इतिहासकार डी.एस त्रिवेदी ने विभिन्न ऐतिहासिक एवं ज्योतिष संबंधी आधारों पर बल देते हुए युद्ध का समय 3137 ईसा पूर्व निश्चित किया है।
पीसी सेनगुप्ता के अनुसार महाभारत में आए कुछ ज्योतिषीय संबंधी प्रमाण युद्ध का समय 2449 ईसा पूर्व निश्चित करते हैं।
आगे चलकर उन्होंने युद्ध के तीनों तीथी क्रमों पर परीक्षा की जो इस प्रकार है, 1. आर्यभट्टा 3102 ईसापूर्व, 2.वृद्धवर्ग 2449 ईसा पूर्व, 3.पुराणों के अनुसार परीक्षित से लेकर महापद्म तक की पीढ़ियों का आकलन जो 1015, 1050, 1125 एवं 1500 वर्ष के लगभग चला आ रहा आता है।
ये वृद्धवर्ग के वचन को अधिक महत्व देते हुए युधिष्ठिर संवत् का समय ईसा से 2449 वर्ष पूर्व निश्चत करते हैं।
इसके लिए उन्होंने महाभारत को अंतिम आधार मानते हुए समय निश्चित किया है।
देव महोदय ने आर्यभट्ट, वराहमिहिर एवं प्राचीन वंशावली को जोड़ते हुए युद्ध का समय का अनुमान ईसा से 1400 वर्ष पूर्व लगाया है।
जे.एस. करन्दीकर ने अनुसार युद्ध 1931 ईसा पूर्व हुआ था। युद्ध के प्रथम दिन मृगशीरा नक्षत्र था।
वी.बी आठावले ने अनुसार युद्ध की तिथि 3016 ईसा पूर्व है। इन्होंने अपने मत के पक्ष में तीन ठोस आधार इस प्राकर दिए हैं:- 1. युद्ध के समय 13 दिन पश्चात सूर्य एवं ग्रहण हुए हैं, जो अक्टूबर मास (अश्विन और कार्तिक) में दिखलाई दिए। 2. उसी समय पुष्य नक्षत्र ईसा के पश्चात् 4. इनके मत से महाभारत के भीतर ईसा के 400 वर्ष पश्चात जोड़ घटाव होते रहे हैं। जिनका उल्लेख इस पुस्तक के भीतर विस्तार सहित हुआ है।
विन्टरनिट्ज के अनुसार महाभारत का प्राचीनतम रूप चौथी शती ईसा पूर्व से अधिक प्राचीन नहीं, इनके मत से महाभारत का नवीनतम रूप ईसा के 400 वर्ष पश्चात् तक विकसित होता रहा।
अंतिम निष्कर्ष :
महाभारत का युद्ध और महाभारत ग्रंथ की रचना का काल अलग अलग रहा है। इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने की जरूरत नहीं।
यह सभी और से स्थापित सत्य है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज से 5129 वर्ष पूर्व) को हुआ हुआ।
ज्योतिषियों अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था। इस मान से यह मान जाएगा कि महाभारत युद्ध भी 31वीं सदी ईसा पूर्व ही हुआ था।
विद्वानों का मानना है कि महाभारत में वर्णित सूर्य और चंद्रग्रहण के अध्ययन से पता चलता है कि युद्ध 31वीं सदी ईसा पूर्व हुआ था लेकिन ग्रंथ का रचना काल भिन्न भिन्न काल में गढ़ा गया। प्रारंभ में इसमें 60 हजार श्लोक थे जो बाद में अन्य स्रोतो के आधशर पर बढ़ गए।
आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ और कलियुग का आरम्भ कृष्ण के निधन के 35 वर्ष पश्चात हुआ।
एक नवीनतम अध्ययन अनुसार राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था। शल्य जो महाभारत में कौरवों की तरफ से लड़ा था उसे रामायण में वर्णित लव और कुश के बाद की 50वीं पीढ़ी का माना जाता है।
इसी आधार पर कुछ विद्वान महाभारत का समय रामायण से 1000 वर्ष बाद का मानते हैं।
ताजा शोधानुसार ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ. मनीष पंडित ने महाभारत में वर्णित 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में कहा कि महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था।
उस वक्त भगवान कृष्ण 55-56 वर्ष के थे। इसके कुछ माह बाद ही महाभारत की रचना हुई मानी जाती है।
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