रांची। एसटी-एसससी और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की बैठक में तब हड़कंप मच गय गया, जब विभागीय मंत्री चमरा लिंडा हाथं में जूता लेकर पहुंच गये। तमाम अधिकारी अवाक रह गये।
मंत्री ने विभाग के आयुक्त को यह जूता दिखाते हुए बताया कि ये बच्चों का जूता है, जो विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। दरअसल मंत्री जूते की क्वालिटी को लेकर नाराज थे और वही दिखाने के लिए बैठक में जूता ले आये थे।
मंत्री चमरा लिंडा ने कुछ दिन पहले गुमला के स्कूलों का निरक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने पाया कि स्कूल के बच्चों को जो जूते दिए जाते हैं उनकी क्वालिटी ठीक नहीं थी।
लेदर की बजाय रेक्सिन का जूता हो रहा सप्लाईः
इसके बाद वे आदिवासी कल्याण आयुक्त के साथ बैठक करने पहुंचे। चमरा लिंडा बैठक में जूता लेकर पहुंचे। उन्होंने आदिवासी कल्याण आयुक्त को इसकी जानकारी दी।
चमरा लिंडा ने कहा कि जूता लेदर का देना है लेकिन जब मैंने जूते का निरीक्षण किया, तो पता चला कि जूता रेक्सीन का है। उन्होंने कहा कि रेक्सीन का जूता निरीक्षण के दौरान ही तुरंत फट गया।
सप्लायर को काली सूची में डालने का आदेशः
उन्होंने आदिवासी कल्याण आयुक्त को जानकारी देते हुए गुमला जिला प्रशासन को संबंधित सप्लायर को काली सूची में डालने और भुगतान रोकने के निर्देश दिया। इसके साथ ही कल्याण पदाधिकारी को भी शोकॉज किया गया।
उन्होंने कहा कि ये कल्याण पदाधिकारी की जिम्मेदारी थी कि वे इसका निरीक्षण करें। लेकिन यहां पर लापरवाही बरती गयी। बच्चों के हक को मारने वालों को नौकरी से निकाला जाएगा।
आगे उन्होंने कहा कि आने वाले कल में अगर ऐसी घटना होती है तो बरदाशत नहीं किया जाएगा। अगली बार से शोकॉज नहीं बल्कि अधिकारियों के साथ-साथ सप्लाई करने वालों पर भी FIR किया जाएगा।
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