रांची। झारखंड की राजनीति गर्म है। रांची से दिल्ली तक लोगों की निगाहें झारखंड की राजनीति पर टिकी है।
पूर्व सीएम और झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेता चंपाई सोरेन भाजपा के हो गए, अब महज इसका औपचारिक ऐलान भर बाकी है।
इस बीच चल रही चर्चाओं के मुताबिक चंपाई आज दिल्ली से रांची लौट सकते हैं। इससे इस चर्चा को भी बल मिल रहा है कि उनकी बीजेपी की एंट्री में कहीं न कहीं पेंच फंस रहा है।
हालांकि सोशल मीडिया पर जारी उनके भावुक पत्र के बाद किसी को तनिक भी संदेह नहीं रह गया है कि वे जेएमएम से अपने जन्मजात रिश्ते को तोड़ रहे हैं।
घर से पार्टी का झंडा और सोशल मीडिया अकाउंट से जेएमएम का लोगो हटा कर उन्होंने पार्टी से जुदाई का संकेत पहले ही दे दिया था।
सीएम हेमंत सोरेन के इस बयान से भी चंपाई के जेएमएम से नाता तोड़ने की पुष्टि हो जाती है कि भाजपा तोड़-फोड़ के सहारे सत्ता हासिल करने की कोशिश करती है।
चंपाई का बीजेपी में शामिल होना, भले ही उसकी ताकत बढ़ाये, पर पार्टी के अंदर ही शायद कुछ लोगों को वह नहीं पचेंगे।
यही वजह है कि चंपई सोरेन के भाजपा के साथ जाने के नफा-नुकसान का आकलन भी हो रहा है। भाजपा नेताओं का ये सनद कहीं उनके लिए ही भारी न पड़ जाए।
इसलिए कि भाजपा में सीएम पद के लिए अभी जो आदिवासी चेहरे हैं, उनमें प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा पहले से ही हैं।
चंपाई सोरेन तीसरे चेहरा होंगे। जिन वजहों से चंपाई ने जेएमएम से जन्मजात रिश्ता तोड़ने का निर्णय लिया है। जाहिर है कि उसे दूर करने का भरोसा भाजपा से मिलने के बाद ही उन्होंने यह कदम उठाने का मन बनाया हो। चंपाई को सीएम पद से हटाए जाने का मलाल है। यही नाराजगी उनके पाला बदल की बड़ी वजह है।
इधर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी संकेत दे रहे हैं कि शायद चंपाई सोरेन की सेटिंग अब तक नहीं हो पाई है। उन्हें लगता है कि भाजपा ज्वाइन करने का चंपाई सोरेन का मामला फंस गया है।
उन्होंने कहा कि चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की संभावनाओं को लेकर उनके साथ अभी कोई बातचीत नहीं हुई है। चंपाई एक मंझे हुए नेता हैं और वो अपनी आगे की राह के बारे में निर्णय खुद लेंगे।
चंपाई सोरेन से अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है। झारखंड राज्य के गठन के लिए चलाए गए आंदोलन का हिस्सा रह चुके हैं। वो अपनी आगे की राह के बारे में निर्णय खुद लेंगे।
बता दें कि भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच चंपाई रविवार दोपहर दिल्ली पहुंचे थे। बाद में उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने ‘अत्यधिक अपमान’ झेला, जिसके बाद वो वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गए।
BJP ज्वाइन करने हो रही देर से चर्चाओं को मिल रही हवा
चंपाई के सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र करते हुए प्रदेश बाबूलाल मरांडी ने कहा, ‘इससे संकेत मिलता है कि वो बहुत आहत हैं। जिस तरह से मुख्यमंत्री पद से हटाया गया, उससे उन्होंने काफी अपमानित महसूस किया।’
चंपाई ने पोस्ट में बताया था कि तीन जुलाई को पार्टी विधायकों की बैठक में उनसे इस्तीफा देने को कहा गया। वो इस निर्देश से आहत थे, क्योंकि उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची थी।
BJP में चंपाई सोरेन कितने होंगे फायदेमंद
इसमें कोई दो राय नहीं है कि चंपाई के आने से बीजेपी को कल्हान में मजबूती मिल सकती है। पर ये भी तय है कि पार्टी के अंदर प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी।
भाजपा ने अभी तक सीएम फेस का ऐलान नहीं किया है। एक बार बाबूलाल मरांडी के नाम की चर्चा चली भी थी, लेकिन फिर शांत हो गई।
मन ही मन मरांडी और मुंडा ये उम्मीद जरूर लगाए बैठे होंगे कि शायद उन्हें पार्टी मौका जरूर देगी। दोनों की दावेदारी इसलिए भी बनती है कि बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले सीएम रहे।
अर्जुन मुंडा दो बार सीएम और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। चंपाई सोरेन की एंट्री से दोनों की दावेदारी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
सीएम पद की रेस बढ़ने का क्या असर होगा ये अभी भविष्य के गर्भ में है। पर चंपाई को पार्टी में पचा पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होने वाला है।
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