दयानंद राय
रांची : राजधानी रांची में कचहरी से सटे संतोषी मां चौक से एसएसपी आवास तक एक प्रमुख सड़क है जिसका नाम रेडियम रोड है। करीब 800 मीटर लंबी इस सड़क यह सड़क वीआइपी लोगों का की रिहाइश से भरी पड़ी है। इस रोड में कांग्रेस नेता शिव प्रसाद साहू का मकान और कई अपार्टमेंट्स हैं। इस रोड में मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस का एक आजादी से पूर्व बना कार्यालय है।
संसार में शायद यह पहली सड़क है जिसका नाम एक खतरनाक रेडियोएक्टिव धातु के नाम पर रखा गया। कहा जाता है कि इस सड़क का नाम आजादी से पहले रेडियम रोड रखा गया था। पर इसका नाम रेडियम रोड ही क्यों रखा गया यह आज भी रहस्य है।
आजादी से पहले था अस्पताल जहां रेडियम से होता था इलाज
जियोलॉजिस्ट डॉ नीतीश प्रियदर्शी ने बताया ऐसा मानना है कि आजादी से पहले एक हॉस्पिटल था जहां कैंसर का इलाज रेडियम से होता था। लेकिन यह समझ के बाहर थी क्योंकि रेडियम के अविष्कार के कुछ साल के बाद ही रांची जैसे छोटे से शहर में कैसे रेडियम से कैंसर से इलाज होने लगा।
क्या इस रोड और इसकी धरती के नीचे कुछ ऐसा था जिसके चलते अंग्रेजों ने इस सड़क का नाम रेडियम रखा? वैसे रांची के नीचे के पत्थर रेडियोएक्टिव हैं। जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के शोध से यह बात सामने आई थी। हो सकता है कि इसके नीचे रेडियम के डिपोजिट हों और अंग्रेजों के शोध में इसका पता चला हो और इस वजह से इसका नाम रेडियम रोड रखा हो।
रेडियोएक्टिव एलीमेंट है रेडियम
यह जानना दिलचस्प होगा कि रेडियम एक रेडियोएक्टिव एलीमेंट है और इस तत्व की खोज पियरे क्यूरी तथा श्रीमती क्यूरी ने 1898 ई. में की थी। जिस रेडियम और पोलोनियम की खोज के लिए उन्हें जाना जाता है, वही उनकी मौत का कारण भी बना था। रेडिएशन के संपर्क में आने के चलते मैरी अपलास्टिक एनीमिया की शिकार हो गईं थी, जिसके चलते 4 जुलाई, 1934 को उनकी मौत हो गई थी।