रांची: हाल ही में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा एक निर्देश जारी कर कहा गया था कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में संचालित हो रहे वोकेशनल कोर्स के शिक्षकों को नेट पास नही रहने पर बर्खास्त कर दिया जाएगा। यानी कि निर्देश लागू होने से केवल नेट पास शिक्षक ही वोकेशनल क्लास ले पायेंगे।
जिसके विरोध में वोकेशनल शिक्षक संघ ने शनिवार को रांची विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि कई शिक्षकों सालों से वोकेशनल के विषय पढ़ा रहे हैं और वो अनुभवी भी है। इसलिए इन शिक्षकों को पीएचडी पूरा करने के लिए अतिरिक्त चार से पांच साल का समय दिया जाए।
इस फैसले से राज्य के 400 से 500 वोकेशनल शिक्षक होंगे प्रभावित
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के इस फैसले से लगभग 400 से 500 शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं। राज्य के लगभग हर विश्वविद्यालय में दर्जनों वोकेशनल कोर्सेस संचालित किये जा रह हैं, जहां आधे से अधिक शिक्षक नेट पास नहीं हैं।
ऐसे में शिक्षकों का कहना है कि सालों बाद भी वोकेशनल के विषयों के लिए शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति नहीं हो रही है जिसके कारण बहुत कम लोग ही वोकेशनल के विषयों में पीएचडी कर रहे हैं।
ऐसे में छात्रों की बढ़ सकती है मुसीबत
अगर विश्वविद्यालयों ने इस फैसले पर अमल किया तो वोकेशनल कोर्सेस के छात्रों की मुसीबत बढ़ सकती है। क्योंकि राज्य में वोकेशनल विषयों के बहुत कम शिक्षक पीएचडी पास हैं।
इसी वजह से विश्वविद्यालयों को स्नातकोत्तर पास को शिक्षक के तौर पर रखना पड़ रहा है। अगर यह निर्देश लागू होता है तो विश्वविद्यालयों के वोकेशनल कोर्सेस के लिए शिक्षकों की कमी पड़ जाएगी।
छात्रों से लिये शुल्क से ही शिक्षकों को दिया जाता है सैलरी
आपको जानकारी के लिए बताते चलें कि वोकेशनल विषय स्व-वित्त पोषित होते हैं। यानी कि वोकेशनल कोर्स से जुड़ा सारा खर्चा छात्रों से ली गई शुल्क से ही भुगतान किया जाता है।
इस कोर्स को संचालित करने के लिए राज्य या केंद्र सरकार से कोई भी वित्तीय सहायता नहीं मिलती है।
इसके अलावा विश्वविद्यालय छात्रों की फीस का 20 फीसदी हिस्सा कमिशन के तौर पर वसूलता है। इसके बाद भी आज तक वोकेशनल कोर्सेस के लिए स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है।
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