Vidyawahini [विद्यावाहिनी]
ई-विद्यावाहिनी
सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने की दिशा में सकारात्मक पहल की जा रही है।
सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों को सुविधा व संसाधन मुहैया कराया जा रहा है। विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त और आधुनिक तरीके से पढ़ाने के लिए भारत सरकार ई-विद्यावाहिनी ऐप और पोर्टल लेकर आई है।
यह विद्यार्थियों के साथ –साथ शिक्षकों को भी सुविधाएं प्रदान करता है। शिक्षकों के तमाम स्कूल संबंधी काम चाहे अटेंडेंस बनाना हो या सिलेबस चेक करना या किताबों की जानकारी सब कुछ इस पर उपलब्ध कराये गये हैं।
ई-विद्यावाहिनी झारखंड समेत देश के सभी सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रभावी वितरण को सुनिश्चित करता है।
यह सभी प्रमुख मापदंडों की निगरानी के लिए एकल केंद्रीकृत गतिशील मंच के रूप में काम करता है।
विद्यावाहिनी परियोजना स्कूलों में आईटी शिक्षा प्रदान करने के लिए 2003 में शुरू की गई थी।
इस परियोजना के तहत, स्कूलों को आईटी शिक्षा, इंटरनेट तक पहुंच, ऑनलाइन लाइब्रेरी, शैक्षणिक सेवाएं, वेब प्रसारण और ई-लर्निंग की सुविधा के लिए कंप्यूटर लैब प्रदान की जाती हैं।
विद्यालयों की हो रही निगरानीः
अब ई-विद्यावाहिनी ऐप से विद्यालयों की निगरानी भी की जा रही है। इसके माध्यम से विद्यालय में शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति के अलावा मध्याह्न भोजन से संबंधित जानकारी भी हासिल की जा रही है।
इस ऐपसे विद्यालयों की निगरानी ही नहीं होती,, बल्कि शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के साथ-साथ विद्यार्थियों की बायोमीट्रिक उपस्थिति भी दर्ज होती है।
ई-विद्यावाहिनी के सफल संचालन के लिए तमाम स्कूलों को मोबाइल टैब उपलब्ध कराये गये हैं।
इसके अलावा शिक्षक या विद्यार्थी कोई भी अपने मोबाइल में ई-विद्यावाहिनी ऐप डाउनलोड करते हुए अपने लागिन से इसका इस्तेमाल कर सकता है।
यह टैबलेट जिला एवं प्रखंड मुख्यालय के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी काम करता है। हालांकि दूर दराज के क्षेत्रों में इससे जुड़ी तकनीकी समस्याएं भी सामने आती रहती हैं।
विद्यार्थियों को ऑनलाइन काउन्सलिंग, रेडियो के साथ-साथ लाइव वीडियो प्रसारण की सुविधा इस एप के जरिए मिल रही है।
इसके जरिए विद्यार्थी समय-समय पर महत्वपूर्ण व्यक्तियों का लाइव भाषण भी सुन सकते हैं। यह छोटी ई-लाइब्रेरी के रूप में भी काम करता है।
शिक्षकों को दिया जाता है प्रशिक्षणः
ई-विद्यावाहिनी ऐप के इस्तेमाल को लेकर समय-समय पर शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि वे तकनीकी रूप से अपडेट रहें।
इसके लिए ज्ञानसेतु योजना चलाई जा रही है, जिसके तहत शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
नीति आयोग की योजना के अनुरूप शिक्षकों को शिक्षा में गुणवत्ता से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण के बाद ही सरकारी विद्यालयों को टैबलेट दिया जाता है। जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में ई-विद्यावाहिनी ऐप से संबंधित टैबलेट उपलब्ध कराये जाते हैं, ताकि स्कूलों को इसे प्राप्त करने में विशेष परेशानी न हो।
झारखंड के शिक्षा अधिकारी बताते हैं कि ज्ञान सेतु योजना के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कार्यालय में टैबलेट मंगाया गया है, जिसे विद्यालयों को दिया जाएगा।
बिना किताब की पढ़ाई और बायोमीट्रिक हाजिरीः
ई-विद्यावाहिनी ऐप की सबसे बड़ी खासियत है कि इससे बिना किताब के भी पढ़ाई हो सकती है।
और तो और आज सभी स्कूलों में इसी से हाजिरी बनाई जा रही है। बायोमिट्रिक अटेंडेंस का यह बेहतरीन विकल्प है।
जब तक स्कूल कैंपस में मौजूद नहीं होगा, इससे अटेंडेंस बन ही नहीं सकता। शायद इसीलिए इसे मिनी लाइब्रेरी और अटेंडेंस रजिस्टर भी कहा जाता है।
बिना किताब के भी विद्यावाहिनी ऐप के जरिए छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं।
कोरोना काल में बना वरदान
कोरोना संक्रमण को लेकर हुए लॉकडाउन के कारण पिछले कुछ सालो में बच्चों की पढ़ाई बाधित रही है।
स्कूली बच्चों के पठन-पाठन के कार्य को सुचारू रखने में ई-विद्यावाहिनी ऐप बेहतरीन भूमिका निभाई है। इस ऐप के माध्यम से बिना किताब वाले बच्चों की पढ़ाई भी निर्बाध रूप से होती रही है।
विद्या वाहिनी ऐप उन बच्चों के लिए कारगर है जिन्हें पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं।
विद्यावाहिनी नामक इस ऐप में वर्ग 1 से लेकर 12वीं तक की सभी पाठ्य पुस्तकों का चैप्टर वाइज संकलन अपलोड किया गया है।
इसके जरिए विद्यार्थियों को विषय वार तरीके से पाठ्यक्रम की पुस्तके उपलब्ध कराए गई हैं। खास बात यह है कि इसमें नोट्स की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
यह सुविधा निशुल्क है और किसी भी स्मार्ट मोबाइल में इंस्टॉल किया जा सकता है।
गूगल प्ले स्टोर से कर सकते हैं डाउनलोडः
गूगल प्ले स्टोर में जाकर इसे इंस्टॉल करने के बाद विद्यार्थी इसके माध्यम से अपनी पढ़ाई कर सकते हैं।
विद्यावाहिनी ऐप के बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि शिक्षकों के लिए भी कारगर है। इसके माध्यम से शिक्षक भी पाठ्यक्रम का अवलोकन कर सकते हैं।
यही नहीं इसके माध्यम से बच्चों के लिए नोट्स भी तैयार कर सकते हैं।इसमें बनाए गए नोट्स को मेल या व्हाट्सएप पर शेयर करने की सुविधा भी दी गई है।
एनसीईआरटी ने एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया है। जिसमें एनसीईआरटी की पुस्तकें को अपलोड किया गया है।
बच्चे उस के माध्यम से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। उसका उपयोग अधिकतर निजी स्कूलों के बच्चे या केंद्रीय विद्यालय के बच्चे करते हैं।
छात्र ऑनलाइन कर सकते हैं पढ़ाईः
सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए एनसीईआरटी से अलग एससीईआरटी एवं बीटीसी की किताबों से संबंधित सामग्री भी उपलब्ध है।
इतना ही नहीं, बच्चे इस ऐप या पोर्टल के जरिए शिक्षकों से इंटरेक्ट यानी बातचीत और चैटिंग कर चीजों को समझ सकते हैं।
इतना ही नहीं, यदि कोई चैप्टर छात्र से छूट गया या किसी दिन विद्यालय में अनुपस्थित रहा हो, तो ऐप के जरिए वह छूटी हुई चीजों का अध्ययन कर सकता है।
क्योंकि सारी शिक्षण सामग्री इस एप पर उपलब्ध है। साथ ही, कक्षा में जो पढ़ाई हो रही है, उसे भी इस ऐप पर अपलोड किया जाता है।
इसलिए विद्यार्थी अपने स्कूल के लागिन में जाकर कक्षावार ये देख और समझ सकते हैं कि क्या पढ़ाई हुई है। साथ ही छूटी हुई पढ़ाई को यहां से पूरी कर सकते हैं।
नये वर्जन-अटेंडेस से लेकर लीव तकः
झारखंड के सरकारी विद्यालयों में सेवा देने वाले शिक्षकों के अटेंडेंस को प्रक्रिया इस ऐप के आने के बाद बदल गई है।
झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से लागू ई-विद्यावाहिनी प्रणाली में कई बदलाव के साथ ऐप का नया वर्जन लांच किया गया है।
शिक्षकों को अब विद्यालय परिसर पहुंच कर ही अटेंडेंस बनाना होगा। इससे राज्य के स्कूलों में सेवा देने वाले लाखों शिक्षकों को सहूलियत मिल रही है।
ई-विद्यावाहिनी के अवकाश प्रणाली में नए बदलाव किए गए। ई-विद्यावाहिनी में अब तक अटेंडेंस बनाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं को अवकाश के कॉलम में खुद से टिप्पणी भरनी होती थी।
नए बदलाव के अनुसार राज्य सरकार की ओर से सरकारी अवकाश को ऑनलाइन अपडेट कर दिया गया है।
रविवार को रेड तथा दूसरे अवकाश को येलो रंग में दिखाया गया है। यानी अब शिक्षकों का अवकाश स्वत: ऑनलाइन अपडेट हो जाएगा।
ई-विद्यावाहिनी में किए गए इस बदलाव का शिक्षकों ने स्वागत किया है। शिक्षकों की ओर से बताया गया कि अब तक अवकाश को लेकर उन्हें परेशानी होती थी।
रविवार का अवकाश भी उन्हें ऑनलाइन टिप्पणी के साथ अपडेट करना पड़ता था। नए बदलाव से शिक्षक तमाम अवकाश संबंधी परेशानियों से मुक्त हो गए हैं।
अटेंडेंस बनाने की टाइमिंग हो रही दर्जः
शिक्षकों की अटेंडेंस प्रणाली सहित अलग-अलग कार्यों में आ रही तकनीकी दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए ई-विद्यावाहिनी ऐप में जहां मैनुअल अटेंडेंस का विकल्प पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है, वहीं दूसरी तरफ बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य कर दिया गया है।
यानी अब केवल संबंधित शिक्षक ही अपना अटेंडेंस बना सकते हैं। इसके अलावा नेटवर्क सहित दूसरी समस्याओं के कारण कई बार ई-विद्यावाहिनी पर अटेंडेंस बनाने में शिक्षकों को परेशानी होती थी।
अटेंडेंस बनाने के बावजूद वह सिस्टम में दिखाई नहीं देता था। नए वर्जन में इसमें बदलाव कर दिया गया है।
अब अगर किसी कारणवश किसी शिक्षक का सही तरीके से अटेंडेंस नहीं बन पाता है तो भी अटेंडेंस बनाने की टाइमिंग रेड कलर में दिखाई देगी।
इससे यह साबित हो जाएगा कि संबंधित शिक्षक ने अटेंडेंस बनाया है। पूर्व में कई शिक्षक विद्यालय से दूर रहते हुए ई-विद्यावाहिनी पर अटेंडेंस बना देते थे।
अब अनिवार्य रूप से विद्यालय परिसर में उपस्थित होकर ही अटेंडेंस बनाना होगा। अगर कोई शिक्षक विद्यालय परिसर से बाहर अटेंडेंस बनता है तो वह सिस्टम में साफ-साफ दिखाई देगा।
सुविधाओं के साथ दिक्कतें भी, शिक्षक परेशानः
एक तरफ ई-विद्यावाहिनी में जहां तमाम सुविधाएं हैं, तो इसे लेकर कई तरह दिक्कते भी हैं। खास तौर पर शिक्षकों को कई तरह की तकनीकी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शिक्षक बताते हैं कि उनके लिए ई-विद्यावाहिनी पोर्टल जी जंजाल बन गया है। इसमें कई तरह की खामियां है।
प्रदेश के प्राथमिक और मध्य विद्यालय के शिक्षकों के लिए पोर्टल पर हाजिरी बनाना कठिन हो गया है।
ऑनलाइन हाजरी नहीं बनने से शिक्षक परेशान हैं। ई-विद्यावाहिनी के नए अपडेट वर्जन 2.2.6 विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए हैं।
पर यह टैब में सपोर्ट नहीं कर रहा है। इस कारण से टैब में ऐप ओपन नहीं हो रहा है। जानकारी देने के बाद भी अब तक कुछ नहीं किया जा सका है।
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद कहते हैं कि बायोमेट्रिक उपस्थिति शिक्षकों पर अविश्वास का परिणाम है।
हालांकि शिक्षकों ने इसे सहर्ष स्वीकार भी किया है। इसमें मैनुअल के विकल्प को समाप्त कर दिया गया है।
जियो फेंसिंग का दायरा कम कर दिया गया। इन त्रुटियों को सुधारा नहीं जा सका है। अभी स्थिति यह है कि त्रुटियों के कारण सुबह शिक्षक विद्यालय आकर अपना काम शुरू करने के बजाय घंटों उपस्थिति दर्ज करने में उलझे रहते हैं,जो छात्र हित के विपरीत है।
अधिकतर विद्यालय में टैब की स्थिति खराब है। इसलिए बार बार स्कैनर को सभी बारी-बारी से अपने मोबाइल में लगाकर उपस्थिति दर्ज करने का प्रयास करते हैं।
इस कारण सभी का मोबाइल चार्जिंग पॉइंट भी क्षतिग्रस्त हो रहा है।
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