दिनांक – 13 मार्च 2025
दिन – गुरूवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत ॠतु
मास – फाल्गुन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी सुबह 10:35 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी 14 मार्च सुबह 06:19 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग – धृति दोपहर 01:03 तक तत्पश्चात शूल
राहुकाल – दोपहर 02:18 से शाम 03:48 तक
सूर्योदय 06:05
सूर्यास्त – 05:46
दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे
व्रत पर्व विवरण- व्रत पूर्णिमा,हुताशिनी पूर्णिमा,होलिका दहन,होलाष्टक समाप्त
विशेष- चतुर्दशी व पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
होली की राख का करे यह उपाय घर मे सुख शांति व बढेगी समृद्धि
षडशीति-मीन संक्रान्ती
14 मार्च 2025 शुक्रवार को षडशीति संक्रान्ती है ।
पुण्यकाल : दोपहर 12:36 से सूर्यास्त तक… जप,तप,ध्यान और सेवा का पूण्य 86000 गुना है !!!
इस दिन करोड़ काम छोड़कर अधिक से अधिक समय जप – ध्यान, प्रार्थना में लगायें।
षडशीति संक्रांति में किये गए जप ध्यान का फल ८६००० गुना होता है – (पद्म पुराण )
होली की रात मे गोमती चक्र का करे यह उपाय घर मे धन-धान्य बढेगा
मंत्र – साफल्य दिवस : होली
होली के दिन किया हुआ जप लाख गुना फलदायी होता है | यह साफल्य – दिवस है, घुमक्कड़ों की नाई भटकने का दिन नहीं है | मौन रहना, उपवास पर रहना, फलाहार करना और अपना-अपना गुरुमंत्र जपना |
इस दिन जिस निमित्त से भी जप करोंगे वह सिद्ध होगा | ईश्वर को पाने के लिए जप करना | नाम –जप की कमाई बढ़ा देना ताकि दुबारा माँ की कोख में उल्टा होकर न टंगना पड़े | पेशाब के रास्ते से बहकर नाली में गिरना न पड़े | होली के दिन लग जाना लाला- लालियाँ ! आरोग्य मंत की भी कुछ मालाएँ कर लेना |
अच्युतानन्तगोविन्द नामोच्चारणभेषजात |
नश्यन्ति सकला रोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम ||
‘ हे अच्युत ! हे अनंत ! हे गोविंद ! – इस नामोच्चारणरूप औषधि से तमाम रोग नष्ट हो जाते है, यह मैं सत्य कहता हूँ, सत्य कहता हूँ |’ (धन्वंतरि महाराज)
दोनों नथुनों से श्वास लेकर करीब सवा से डेढ़ मिनट तक रोकते हुए मन–ही–मन दुहराना –
नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||
फिर ५० से ६० सेकंड श्वास बाहर रोककर मंत्र दुहराना | इस दिन जप-ध्यान का फायदा उठाना, काम-धंधे तो होते रहेंगे | अपने-अपने कमरे में गोझरणमिश्रित पानी से पोछा लगाकर थोडा गंगाजल छिडक के बैठ जाना | हो सके तो इस दिन गोझरण मिला के स्नान कर लेना | लक्ष्मी स्थायी रखने की इच्छा रखनेवाले गाय का दही शरीर पर रगड़के स्नान कर लेना | लेकिन वास्तविक तत्त्व तो सदा स्थायी है, उसमें अपने ‘मैं’ को मिला दो बस, हो गया काम !
ब्रम्हचर्य-पालन में मदद के लिए “ॐ अर्यमायै नम:” मंत्र का जप बड़ा महत्त्वपूर्ण है |
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