US-Venezuela tensions
वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिका और वेनेजुएला के बीच हालिया टकराव नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। अमेरिकी नौसेना द्वारा कैरेबियन सागर में वेनेजुएला के तेल टैंकर को जब्त किए जाने के बाद दोनों देशों में तनाव कई गुना बढ़ गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कार्रवाई को अपनी बड़ी उपलब्धि बताया, जबकि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने इसे देश की संप्रभुता पर हमला और “अंतरराष्ट्रीय डकैती” करार दिया। इसी बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का हस्तक्षेप अमेरिकी खेमे में भारी हलचल पैदा कर रहा है।
पुतिन का खुला समर्थन, कहा—“हर परिस्थिति में साथ”
क्रेमलिन के अनुसार, पुतिन ने मादुरो को फोन कर “वेनेजुएला के लोगों के साथ एकजुटता” व्यक्त की। उन्होंने कहा कि रूस बाहरी दबाव के बीच वेनेजुएला की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा में उसका पूर्ण समर्थन करेगा। यह कॉल ऐसे समय में हुई जब अमेरिका वेनेजुएला पर सैन्य और आर्थिक दबाव लगातार बढ़ा रहा है। पुतिन ने यह भी आश्वासन दिया कि मॉस्को और कराकास के बीच प्रत्यक्ष संवाद हमेशा खुला रहेगा।
अमेरिका की रणनीति
अमेरिका ने मादुरो पर नार्को-टेररिज्म यानी नशीली दवाओं से आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। हाल में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति कैरेबियन क्षेत्र में कई दशकों में सबसे अधिक स्तर पर पहुंच चुकी है। अधिकारी मानते हैं कि टैंकर की जब्ती “ड्रग तस्करी के खिलाफ अभियान” का हिस्सा है, जबकि वेनेजुएला का स्पष्ट आरोप है कि असली उद्देश्य मादुरो को सत्ता से हटाना है।
रूस–वेनेजुएला की गहरी रणनीतिक साझेदारी
यह पहली बार नहीं है जब रूस वेनेजुएला के समर्थन में उतरा है। 2018 में रूस ने वेनेजुएला में न्यूक्लियर-सक्षम Tu-160 बॉम्बर भेजे थे। हाल में रूसी नौसैनिक जहाज़ भी यहां सैन्य अभ्यास कर चुके हैं। रूस ने वेनेजुएला को कोविड वैक्सीन, क्रिप्टोकरेंसी विकास और रक्षा सहयोग में भी मदद दी है। बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको और वेनेजुएला के दूतों की बैठकें भी इस गठजोड़ को और मजबूत संकेत देती हैं।



