Tourism Department:
रांची। रांची का ऐतिहासिक बड़ा तालाब, जिसे स्वामी विवेकानंद सरोवर के नाम से जाना जाता है, आज अपनी दुर्दशा और प्रशासनिक लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन चुका है। वर्षों से इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत में यह तालाब अब गंदगी, बदबू और उपेक्षा का केंद्र बन गया है।
Tourism Department: नगर निगम व पर्यटन विभाग ने किया था खर्च
नगर निगम और पर्यटन विभाग ने इस तालाब की सुंदरता बढ़ाने के नाम पर अब तक लगभग 42 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इनमें से 19 करोड़ रुपये स्वामी विवेकानंद की भव्य आदमकद प्रतिमा लगाने में खर्च हुए, जो तालाब के बीचों-बीच स्थापित है।
लेकिन इसके आसपास का दृश्य किसी भी तरह से सौंदर्य या शांति का अनुभव नहीं देता। चारों ओर फैली दुर्गंध, हरी काई से ढका पानी और मरी हुई मछलियों का तैरता रहना, यह सब यहां आने वाले लोगों को परेशान करता है।
Tourism Department: सजावट पर करोड़ों खर्च, लेकिन हालात शर्मनाक
तालाब की सफाई और सौंदर्यीकरण के लिए 14 करोड़ रुपये की लागत से पैदल पथ, साज-सज्जा, लाइटिंग और किनारों का ब्यूटीफिकेशन किया गया था। इसके अलावा 8 करोड़ रुपये सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर खर्च किए गए, ताकि नाले का गंदा पानी साफ होकर तालाब में जाए।
लेकिन हकीकत ये है कि आज भी अस्पतालों और अपर बाजार से निकलने वाला गंदा नाला बिना ट्रीटमेंट के सीधे तालाब में गिर रहा है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तो लगाया गया, लेकिन गंदगी पहले किनारे पर इकट्ठा होती है और फिर वहीं से वापस पानी में चली जाती है। करोड़ों की लागत से लगाई गई तकनीक भी प्रभावी साबित नहीं हो पाई।
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