दयानंद राय
रांची : रामगढ़ उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं। चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार और आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी जीत गयी हैं। उन्होंने कांग्रेस के महागठबंधन समर्थित उम्मीदवार बजरंग महतो को 21977 मतों से हरा दिया है। सुनीता चौधरी को 1,15,669 मत मिले हैं। वहीं, बजरंग महतो को 93699 मत मिले हैं। बीते विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार ममता देवी जीती थीं और उन्होंने सुनीता चौधरी को 28718 मतों से हराया था। इस चुनाव में ममता देवी को 99944 मत मिले थे। आजसू उम्मीदवार सुनीता चौधरी की जीत से एनडीए के खेमे में जश्न का माहौल है। सुनीता चौधरी की जीत यूं ही नहीं हुई। इसके पीछे एक सुनियोजित रणनीति है। तो आइए हम बताते हैं कि आजसू का उम्मीदवार क्यों जीता।
भाजपा और आजसू को साथ मिलकर लड़ने का फायदा मिला
बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ममता देवी की जीत का एक बड़ा कारण यह था कि उस समय भाजपा और आजसू ने अलग-अलग होकर चुनाव लड़ा था और इससे वोटों के बिखराव का फायदा कांग्रेस उम्मीदवार को हुआ था। इस बार भाजपा और आजसू दोनों ने अपनी-अपनी गलती सुधार ली और मिलकर चुनाव लड़े। इससे भाजपा का वोट आजसू उम्मीदवार के पक्ष में ट्रांसफर हो गया।
आजसू की चूल्हा प्रमुख की रणनीति काम आयी
रामगढ़ उपचुनाव से पहले आजसू ने चूल्हा प्रमुखों की बैठक कर उन्हें अहम जिम्मेवारी दी। यह रणनीति एनडीए के काम आयी। एनडीए के नेता बीते चार उपचुनावों यानि दुमका, मधुपुर, बेरमो और मांडर में हार का दंश झेल चुके थे इसलिए उस हार से सीख लेते हुए उन्होंने इस बार पूरी लगन से और टीम भावना के साथ काम किया। वहीं, महागठबंधन के नेता बीते चार उपचुनावों में मिली जीत के गर्व में चूर थे। उन्होंने इस चुनाव को उतनी गंभीरता से नहीं लिया। एनडीए ने उपचुनाव में टारगेट ओरिएंटेड काम किया और हर कार्यकर्ता को जिम्मेवारी सौंपने के साथ उसकी मॉनीटरिंग भी की। भाजपा ने राज्य के दिग्गज नेताओं अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, दीपक प्रकाश और अन्य नेताओं को चुनाव प्रचार में लगाया। वहीं, सुदेश महतो और चंद्रप्रकाश चौधरी ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी। इससे नतीजे बेहतर आए।
ये हैं उपचुनाव के संदेश
इस उपचुनाव ने एनडीए और महागठबंधन दोनों को कई संदेश दिए हैं। एनडीए को इस उपचुनाव के नतीजों ने संदेश दिया है कि भविष्य में आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होकर लड़ना उसके लिए फायदेमंद रहेगा। आजसू की चूल्हा प्रमुख की व्यवस्था कारगर है। टीम भावना से काम करने पर नतीजे भाजपा और आजसू दोनों के लिए अच्छे होंगे। वहीं, उपचुनाव ने महागठबंधन को ये संदेश दिया है कि चुनाव के दौरान टारगेट ओरिएंटेड एप्रोच का घटक दलों के बीच अभाव रहा। उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विपक्ष को ही निशाना बनाते रहे और महागठबंधन का मासूम बच्चों के नाम पर राजनीति का दांव भी विफल रहा।
लोकसभा चुनाव में एनडीए के लिए संजीवनी का काम करेगा रिजल्ट
वर्ष 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में रामगढ़ उपचुनाव में मिली जीत एनडीए के लिए संजीवनी का काम करेगी। वहीं, इस उपचुनाव में मिली हार से कहीं न कहीं महागठबंधन के नेताओं के मनोबल पर असर पड़ेगा। इस चुनाव में मिली हार के साथ ही कांग्रेस का झारखंड विधानसभा में एक सदस्य कम हो गया है। अब विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 17 रह गयी है। पहले यह 18 थी। वहीं आजसू के विधायकों की संख्या में इजाफा हुआ है और अब आजसू विधायकों की संख्या बढ़कर दो से तीन हो गयी है।