12 विभाग ने 4 हजार करोड़ रु.सरेंडर किये, कल सरकार 13 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट लायेगी
रांची। राज्य में लोकप्रिय मंईयां सम्मान योजना में कोई बाधा नहीं आयेगी। इसके लिए सरकार ने पैसे जुटा लिये हैं। चुनावी वादों को पूरा करने में हेमंत सरकार जुट गई है। मंईंया सम्मान, बिजली बिल माफी सहित अन्य योजनाओं का लाभ देने के लिए सरकार बुधवार को विधानसभा में करीब 13,000 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश करेगी।
समाज कल्याण व ऊर्जा मंत्रालय की कई योजनाओं की राशि सरेंडर किये जाने से पैसे का जुगाड़ हो गया है। चालू वित वर्ष में लोस व विस चुनाव के कारण 4 माह तक आचार संहिता लगी थी। इससे कई योजनाओं के पैसे खर्च नहीं हुए। अब इनका उपयोग नई योजनाओं में किया जाएगा।
समाज कल्याण विभाग ने जुटाये 1000 करोड़ः
बजट में मंईंयां सम्मान योजना के लिए कोई प्रावधान नहीं था। समाज कल्याण विभाग ने दूसरे मद का पैसा सरेंडर कर 1000 करोड़ जुटा लिए हैं। मार्च तक इस मद में 5000 करोड़ की जरूरत है।
31 मार्च 2025 तक मंईयां योजना के लिए 7300 करोड़, बिजली बिल माफी के लिए 1800 करोड़, बिरसा फसल बीमा योजना के लिए 250 करोड़ और बिजली टैरिफ सब्सिडी के लिए 767 करोड़ चाहिए।
सरकार के खजाने में अभी 500 करोड़ः
राज्य सरकार के खजाने में फिलहाल 5000 करोड़ हैं। सरकार ने पेयजल, ग्रामीण विकास और खाद्य आपूर्ति समेत करीब एक दर्जन विभागों से 4000 करोड़ सरेंडर कराए हैं। पेयजल से 1400 करोड़, ग्रामीण विकास से 900 करोड़ और खाद्य आपूर्ति से 600 करोड़ सरेंडर कराए गए हैं।
योजना, कृषि, आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और जल संसाधन ने भी पैसे सरेंडर किए हैं। इसके अलावा माइनिंग सेस से 1000 करोड़ और दो वर्ष से अधिक समय से पड़े 2000 करोड़ की वापसी से अनुपूरक बजट का खाका तैयार हुआ है।
15000 करोड़ तक कर्ज ले सकती है सरकारः
पिछले साल कर्ज नहीं लिया, इस साल 15 हजार करोड़ लोन ले सकती है सरकार राहत की बात यह है कि एक अप्रैल को राज्य पर कुल कर्ज करीब 90,000 करोड़ रुपए था। पिछले वित्तीय वर्ष में झारखंड ने कोई कर्ज नहीं लिया। बल्कि, 2505 करोड़ रुपए अपना कर्ज उतारा।
लोन लेने की सीमा पार नहीं की। चालू वित्तीय वर्ष में 18,000 करोड़ तक बाजार ऋण लेने की सीमा है। सरकार ने केवल 3000 करोड़ ही कर्ज लिया है। जरूरत पड़ने पर 15000 करोड़ तक कर्ज ले सकती है।
बजट 1.34 लाख करोड़ का, नवंबर तक 61 हजार करोड़ हुए खर्चः
वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1.34 लाख करोड़ का सरकार का बजट था, जिसमें से नवंबर माह तक 61 हजार करोड़ ही खर्च हो सके हैं। राज्य सरकार के खुद के संसाधन से जो पैसे आ रहे हैं, उनमें 90% तक वेतन, पेंशन और सूद पर ही खर्च हो रहे हैं। विकास कार्यों के लिए सरकार केंद्रीय सहायता और उधार-लोन पर ही निर्भर है।
पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.16 लाख करोड़ रुपए का बजट था। इसमें कमिटेड एक्सपेंडिचर (वेतन, पेंशन और सूद अदायगी) में 32,000 करोड़ और स्थापना व अन्य मद में 13,000 करोड़ खर्च तय था।
वित्तीय स्थिति ऐसी है कि राज्य में राजस्व वसूली के लक्ष्य कम तय होते हैं। उसकी भी वसूली नहीं हो पाती है। धन के अभाव में राज्य की योजनाएं व घोषणाएं पूरी नहीं हो पाती हैं। ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने से आगामी वर्षों में वेतन, पेंशन और सूद पर खर्च बढ़ेगा।
इसके मद्देनजर राज्य के विकास और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए धन जुटाना है। राज्य में करीब पांच लाख कर्मचारी-अधिकारियों के स्वीकृत पद हैं। इसके विरुद्ध करीब 2 लाख अधिकारी कर्मचारी ही कार्यरत हैं।
राज्य सरकार लगातार बड़े पैमाने पर नियुक्ति कराने की घोषणा कर रही है। नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू है। बहाली होने पर यह खर्च और बढ़ेगा।
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