परीक्षा का मतलब ‘ पर की ईच्छा ‘ अर्थात दूसरे की ईच्छा यानि examiners की ईच्छा। क्या जानना चाहता है examiners ? Exam लेने का क्या उद्देश्य होता है ? क्या इस compitative world में भीड़ से अलग करने का नाम ही परीक्षा है ? क्या उनके पास ऐसा कोई tools है जिससे हमारे अंदर छिपी हुई प्रतिभा को वे जान सकते है ?
वैसी कौन सी प्रतिभा को वे जानना चाहते है जिसके बारे मे हमे काम जानकारी होती है और हम परीक्षा देकर लौट आते है बिना उनकी अपेक्षाओं को जाने। इसको इस प्रकार समझा जा सकता है, गणेश भगवान को क्या पसंद है ? मोदक ! जो दो-तीन सौ रुपये किलो मिल सकता है।
परन्तु हम भोग लगाना चाहते है काजू कतली को 1000/- प्रति किलो बिकता है। गणेश भगवान किस भोग से खुश होंगे, मोदक से या फिर काजू कतली से ? जाहिर सी बात है मोदक से ही खुश होंगे। अब तो भक्तजन यह सोचेंगे की हमने तो काजू कतली जैसी महंगी मिठाई भोग लगाया परन्तु उससे वे खुश नहीं हुए परन्तु दो-तीन सौ रूपये वाली मोदक से खुश हो गए और उन्हें मालामाल कर दिया।
स्पष्ट है की Examiners भी वही है जो गणेश भगवान है। जो हम है ? आप है ? उसे पसंद है वही परोसिए। वे जो पूछते है वही बताइए। वो जिस ज्ञान का परीक्षा लेना चझ्ते है उसी बुद्धि का उपयोग कर अपने ज्ञान को ईजहार करें।
Examiners क्या Examine करना चाहते है ?
- Examiners हमारे तीन क्षमता को जानना चाहते है:- input, storage और output जैसे computers में होता है।
- Input यानि हमारे ज्ञान के स्रोत और उसका बुद्धि में प्रवेश।
- Storage यानि उन सूचनाओं का रख-रखाव, जो आवश्यकता पड़ने पर निकल पड़े
- और Output यानि उस बुद्धि में पड़े ज्ञान निकलने के तरिके।
- इन्ही तीन अवयवों की जाँच Examiners करना चाहते है।
Input के कई सारे स्रोत है यथा :-
- Reading – पढ़कर
- Experiencing – अनुभव प्राप्त कर
- Observing – देखकर
- Listening – सुनकर
- Testing – चख कर
अर्थात पांचो sense organ के active participation की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- Reading मतलब अच्छी पुस्तकें पढ़ना और ज्यादा से ज्यादा पढ़कर समझना और आत्मसात करना।
- Experiencing मतलब जीवन के कड़वे सच्चाई को कम समय में अनुभव करना एवं उसे स्वीकार करना।
- Observing मतलब अवलोकन करना, जो देखना चाहते हों उसे देखना और उसे अपने अनुभव के साथ जोड़कर संजोना।
- Listening मतलब सुनकर चीज़ों को समझना एवं अपने अन्य स्रोतों से प्राप्त ज्ञान जोड़कर रखना और Testing मतलब स्वाद लेना यानि Lab में बैठकर एक नियंत्रण परिस्थिति में किसी वस्तु के प्रभाव को जानकर समझना।
इन स्रोतों से Examiner क्या जानना चाहता है ?
Input के इन स्रोतों का विकास कैसे करें?
देखिये। इन सब पर चर्चा करने पर यह Episode बहुत लम्बा हो सकता है। इसलिए इन सभी स्रोतों पर अलग-अलग से चर्चा करेंगे और इन्हें गहराई से समझेंगे और इन्हे विकसित कर Examiners के इच्छा के अनुसार परीक्षा भी देंगे।
Storage के कौन-कौन से स्रोत है ?
अभी हमने चर्चा किया कि storage का मतलब होता है Memory; वैसा memory जो आवश्यकता पड़ने पर निकल पड़े और यह संभव होता है, Association से जुड़ाव से एक को दूसरे से जोड़कर रखने से ताकि एक-एक के निकलने पर दूसरा निकल पड़े जिसे कहते है cue .
Cue के सहारे ही हम सब तथ्यों को और concepts को याद करते है।
याद करते समय हम उन्हीं cue की तलाश करते हैं जैसे हम cue को पकड़ लेते है और उससे शब्दों का Association कर लेते है तो वह याद हो जाता है।
- Bat बोलने पर क्या याद आता है Ball
- माता बोलने पर क्या याद आता है पिता
Bat और Ball का Association का cue क्या है ?
Cricket / जहाँ cricket होता है वहा Bat भी होता है और Ball भी होता है। इसे मनोविज्ञान की भाषा में Conditioncing कहते है। उसी प्रकार माता और पिता शब्द के Association का cue क्या होता है Family, family में माता जहाँ है तो वहाँ तो पिता तो होंगे ही। दो Concept को जोड़ कर रखा जाता है।
क्या कोई ऐसा तरीका है जिसे दैनिक जीवन में उपयोग कर storage बढ़ाया जा सकता है ?
इसे बढ़ाने के कई तरिके है :- जिसमे अहम् है अभ्यास। Memory बढ़ाने का अभ्यास कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है जैसे आप सफर कर रहें हों, मित्रों के साथ बैठे हो, Library में हो, kitchen में हो, Dressing Room में हो, यानि कहि भी कर सकते है।
इसका अभ्यास जहाँ पर कई साड़ी वस्तुएँ एक Sequence में राखी गयी हों। Kitchen में कई साड़ी बर्तन सजा कर रखा गया है बस उसे एक झलक देखें और पलट कर उनका Sequence बताना प्रारम्भ कर दें।
दूसरे Condition में जहाँ कोई भी समान सा वस्तु नहीं है दो मित्र या परिवार के सदस्य है वहां पर एक व्यक्ति एक शब्द बोले, फिर दूसरा व्यक्ति उससे जोड़कर कोई दूसरा शब्द बोले, फिर पहला व्यक्ति पहला, दूसरा, तीसरा और चौथा शब्द बोले। ऐसा करते-करते सैकड़ो शब्दों का Sequence बना सकते है। जिसे अभ्यास से विकसित किया जा सकता है।
Output के क्या स्रोत हैं और उसे कैसे विकसित किया जा सकता है ?
Output के कई सारे स्रोत है जिससे Examiners आप के input और storage जानने का प्रयास करते है :-
- Writing expression like written examination
- Speaking expression like Interview
- Non-verbal expression like body langauge
इन सबको विकसित करने के लिए सबसे प्रमुख तरीका है अभ्यास जो विकसित होता है Habit से Habit विकसित होता है। Discipline से Discipline विकसित होता है। Will Power से will power विकसित होता है Charactor से।
इसलिए कहा गया है कि शिक्षा का उद्देश्य Charactor विकसित करना होना चाहिए, इससे हम will power और Discipline, विकसित करते हुए अभ्यास को सरल बना पाते है और Examiners जो चाहते है उनके अनुसार हम अपने आप को present कर जीवन में सफल हो पाते है।
इसे भी पढ़ें
5 दिन बाद से शुरू हो रहीं बोर्ड परीक्षाएं पर चेयरमैन का पद खाली