बीजींग, एजेंसियां। अगर ये घटना दुनिया के किसी अन्य देश में हुई होती, तो दुनिया भर में हंगामा मच जाता।
पर चीन में घटी इस घटना पर चारो ओर चुप्पी है। ग्लोबल मीडिया से यह जानकारी मिल रही है कि जिनपिंग शासन का ऑर्डर मिलने के बाद यहां आखिरी मस्जिद भी तोड़ दी गई।
सादियान की ग्रैंड मस्जिद चीन की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। लेकिन, इस मस्जिद के तीन गुबंदों पर हथौड़ा चला दिया गया।
चीन ने सिर्फ एक प्रांत शिनजियांग में ही 16 हजार से अधिक मस्जिदों पर बुलडोजर चला दिया।
भारतीय मुसलमानों के नाम पर दुष्प्रचार करने वाले कुछ मुस्लिम देश इसकी निंदा तो दूर चीन पर एक बयान नहीं दे पाए।
चीन का सदाबहार दोस्त पाकिस्तान भी सबकुछ देखकर भी गूंगा बन गया। इसलिए मस्जिदों को तोड़ा जा रहा है।
गुबंद और मीनारों को ध्वस्त कर दिया गया है। यहां तक कि मस्जिदों में दिखने वाले हरे रंग पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
पुरानी मस्जिद अरबी शैली में बनी थी, जबकि नई मस्जिद में अरबी शैली की वास्तुकला खत्म कर दी गई है। यहां तक की मुस्लिम समुदाय के लोगों को लाठी से पीटा भी गया।
दरअसल, चीन ने अपने देश में इस्लाम को भी बदल दिया है और इससे जुड़ी एक-एक चीज को भी बदल दी है।
चीन का मुसलमानों पर ऐसा हमला देख 57 मुस्लिम देशों के माथे पर भी जिसे देखकर पसीना आ गया है।
चीन ने लगातार अपने फैसलों से कुरान, मस्जिद, इल्लामिक नाम, ढाढ़ी, बुर्का का चीनीकरण कर दिया है।
यानी इन सभी को अपने स्टाइल में बदल दिया है। इसी कड़ी में इस्लामिक स्ट्राइल में बनी देश की मस्जिद को भी हटा दिया है।
इसे ग्रैंड मौस्क ऑफ सेडियन कहा जाता है। हैरानी की बात है कि चीन के इस कदम के बाद एक भी मुस्लिम देश ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
बता दें कि चीन ने अपने देश में 29 मुस्लिम नामों पर बैन तक लगाया हुआ है। चीन में कोई भी अपने नाम में इमाम, सद्दाम, हज, मदीना जैसे शब्द नहीं लगा सकता है।
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