रांची : कांके रोड स्थित कृषि भवन परिसर में एक आलीशान कोठी है नाम है लक्ष्मी निवास कोठी। ब्रिटिश शासन काल में बनी यह कोठी वर्ष 1905 में एक बंगाली जमींदार ने अपनी बेटी के नाम पर बनवायी थी। उनकी बेटी का नाम था लक्ष्मी और उसी के नाम पर इस कोठी का नाम पड़ा लक्ष्मी निवास कोठी। इस कोठी को बनाने में बंग्राल का ब्रिटिश पीरियड आर्किटेक्चर का यूज किया गया है।
10,000 स्कवायर फीट में बनी इस दो मंजिला कोठी का निर्माण सूर्खी चूना और लाल ईंटों से किया गया है। इस कोठी में ग्राउंड फ्लोर को फर्स्ट फ्लोर से जोड़ने के लिए लकड़ी की सीढ़ियां बनी हैं। इसमें जबर्दस्त नक्काशी की गयी है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती है। लक्ष्मी निवास कोठी ने लंबी उम्र पायी और 100 सालों से भी अधिक समय से इसकी खूबसूरती बरकरार है।
आजादी के बाद वर्ष 1970 में इस कोठी का बिहार सरकार ने अधिग्रहण कर लिया और वर्ष 2000 में जब झारखंड बिहार से अलग हुआ तो इसक मालिकाना झारखंड सरकार के पास आ गया। इस कोठी में लंबे समय तक कृषि विभाग का कार्यालय संचालित होता रहा पर बाद में देखरेख के अभाव में यह शानदार कोठी जर्जर होती चली गयी।
विरासत को बचाने की जरूरत
इसकी दुर्दशा को देखकर झारखंड सरकार के कृषि विभाग ने इसे एग्रीकल्चर म्यूजियम बनाने का निर्णय लिया और वर्ष 2017 में इसका सौंदर्यीकरण किया गया। करीब ढाई करोड़ रुपये इसके सौंदर्यीकरण में खर्च किए गए पर इसका बाद में कोई उपयोग नहीं किया गया। नतीजा असमाजिक तत्वों ने इसे अपना अड्डा बना लिया। इसके खिड़की-दरवाजे टूट रहे हैं। इस कोठी और इसकी विरासत को बचाये जाने की जरूरत है क्योंकि यह एक बेहद खूबसूरत हेरिटेज बिल्डिंग है।