नई दिल्ली, एजेंसियां: सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को बेहद पवित्र और पूजनीय माना जाता है। तुलसी पत्तो के बगैर कोई पूजा भी संपन्न मन नहीं जाता। तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसके बिना घर का आंगन अधूरा माना जाता है।
धार्मिक शास्त्रों में तुलसी को मंगलकारी माना गया है। भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। हिंदू धर्म में हर घर में तुलसी की पूजा की जाती और प्रति दिन तुलसी के जल दिया जाता है। हालांकि, तुलसी की पूजा करते समय कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है।
खासतौर पर तुलसी पर जल चढ़ाते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों में भी तुलसी पर जल चढ़ाने को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, इसलिए जल चढ़ाते समय भूलकर भी कुछ गलतियां नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से तुलसी माता नाराज हो सकती है और आपके जीवन में इसके नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं।
तुलसी पर जल चढ़ाने के नियम
एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। माना जाता है कि एकादशी वाले दिन तुलसी में जल देने से माता लक्ष्मी रुष्ठ हो सकती हैं। इसकी वजह से आपको जीवन में कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा यह भी माना जाता है कि इस दिन तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, इसलिए एकादशी के दिन तुलसी माता को जल नहीं देना चाहिए।
तुलसी के पौधे पर प्रतिदिन जल दिया जाता है, लेकिन ध्यान रहे कि अधिक मात्रा में जल नहीं चढ़ाया जाना चाहिए। ऐसा करने से तुलसी के पौधे की जड़ें सड़ने लगती हैं और तुलसी का पौधा सूखने लगता है। माना जाता है कि घर में लगा तुलसी का पौधा सूखना शुभ नहीं होता।
पुराणों में विवरण है कि तुलसी के पौधे में जल देते समय हमेशा आपको बिना सिलाई का वस्त्र पहनना चाहिए। सिले हुए कपड़े पहनकर तुलसी माता को जल देने से लाभ प्राप्त नहीं होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी के पौधे को घर में लगाते समय दिशा का भी ध्यान रखना चाहिए। तुलसी के पौधे को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सकता है, इसलिए इस दिशा में तुलसी रखने से बचें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी में जल देने का सबसे उपयुक्त समय सुबह का सूर्योदय काल होता है। मान्यता है कि सूर्योदय के समय तुलसी में जल देने से विशेष लाभ मिलते हैं और आर्थिक संकटों से छुटकारा भी मिलता है।
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