ये सरकारी नीति से जुड़ा मामला
नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पीरियड लीव की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई।
कोर्ट ने कहा कि यह मामला अदालत में तय करने के लिए नहीं है, बल्कि सरकारी नीति से जुड़ा मामला है।
कोर्ट ने कहा कि हमारी तरफ से महिलाओं को पीरियड लीव देने का फैसला महिलाओं के लिए हानिकारक होगा, क्योंकि ऐसे में कंपनियां महिलाओं को नौकरी देने से बचेंगीं।
महिलाओं को काम से दूर कर दिया जाएगा
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि यह लीव औरतों को काम करने के लिए कैसे प्रोत्साहित करेगी। ऐसी लीव मंजूर होने से महिलाओं को काम से अलग कर दिया जाएगा।
हम नहीं चाहते महिलाओं के साथ ऐसा हो। चूंकि यह मामला अन्य राज्यों की नीतियों से संबंधित समस्याएं उठाता है, इसलिए कोर्ट के पास इस मामले में दखल देने की कोई वजह ही नहीं है।
सरकार नीति बनाए
हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इजाजत दी कि वह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सेक्रेटरी और एडिशनल सॉलिसिटर ऐश्वर्य भाटी के पास जाएं।
कोर्ट ने कहा कि हम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सेक्रेटरी से निवेदन करते हैं कि वे नीतियों के स्तर पर इस मामले को देखें और इससे संबंधित सभी स्टेकहोल्डर्स से चर्चा करने के बाद पॉलिसी बनाने के बारे में सोचें।
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