5 साल में एक करोड़ 82 लाख लोगों ने छोड़ दी शराब
पटना। दारू खराब-दारू खराब। जी हॅा। बिहार में इन दिनों यही तकियाकलाम हो गया है। यहां लोग यहां शराब से तौबा कर रहे हैं। यह खबर आम गृहणियों को खुशी देनेवाली है।
बिहार में हाल ही में हुए सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि यहां एक करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब पीनी छोड़ दी हैं। ये आंकड़े पिछले पांच साल के हैं। यह रसर्वे बिहार सरकार के मद्य निषेध उत्पाद और निबंधन विभाग ने कराया है। शराबबंदी को लेकर यह सर्वे किया गया है।
इसका उद्देश्य यह जानना था कि बिहार में शराबबंदी के क्या फायदे हुए। लोग कैसे इसका समर्थन कर रहे हैं। सर्वे में चौंकाने वाली जानकारी मिली है। बताते चलें कि 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू की गई थी। इसके बाद से प्रदेश में लगभग 1 करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब छोड़ दी है। यह सर्वे जीविका और चाणक्य नेशनल लॅा यूनिवर्सिटी ने मिलकर किया। सरकार की ओर से यह रिपोर्ट 21 फरवरी को जारी की गई है।
96 फीसदी लोगों ने छोड़ी शराब
यहां बताना जरूरी है कि बिहार में शराबबंदी को लेकर ये तीसरी सर्वे रिपोर्ट है। ताजा सर्वे को और प्रभावशाली बनाने के लिए इस का दायरा बढ़ाया गया था।
बिहार के सभी जिलों में सर्वे कर लोगों की राय जानी गयी। बड़ा सर्वे होने के कारण 1 लाख 15 हजार जीविका समूहों में से 10 हजार लोगों को चुना गया था। इनके जरिए 98 फीसदी पंचायतों और 90 प्रतिशत गांव में सर्वे हुआ।
इसमें एक और बड़ी जानकारी मिली कि जो लोग शराबबंदी के पहले शराब पीते थे, उनमें से 96% लोगों ने शराब को बिल्कुल छोड़ दिया।
शराबंदी के अलावा भी कई कारण
सर्वे में यह भी पता चला कि लोगों के शराब छोड़ने की वजह शराबबंदी तो है ही। इसके अलावा बिहार में अवैध तरीके से बिकने वाली महंगी शराब भी एक कारण।
आम लोग इतनी महंगी शराब अफोर्ड नहीं कर सकते। साथ ही, शराब की घटिया क्वालिटी ने भी लोगों को इससे दूर किया है। खास तौर पर जहरीली शराब से होनेवाली मौत की घटनाओं ने लोगों को झकझोर दिया है।