कितने काम के ये लुभावने नारे और स्लोगन
रांची। देश में चुनावी मौसम अब अंतिम पड़ाव पर है। इस चुनावी मौसम में भी खूब नारे, स्लोगन और जुमले सुनने को मिले।
चुनावी नारे पहले भी हुआ करते थे। पहले देश का नेतृत्व करने वाले लोग ऐसे नारे देते थे। बाद में विधानसभा चुनावों में भी राजनीतिक दलों ने नारे गढ़ने शुरू कर दिये।
और अब तो नारों की जगह ध्यान खींचनेवाले स्लोगनों ने ले ली है। बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी ने पहले ‘मां, माटी, मानुष’ का नारा दिया तो बाद में ‘खेला होबे’ का स्लोगन जारी किया।
बिहार में जेडीयू नीतीश को लेकर दो नारे अब तक दे चुकी है तो आरजेडी ने भी तेजस्वी को लेकर नया नारा दिया है।
चुनावों के दौरान या चुनावी कामयाबी के बाद पार्टी के शीर्ष नेता के नाम पर स्लोगन गढ़ने की परंपरा नई है।
स्लोगन पहले भी गढ़े जाते थे, लेकिन तब उनमें कोई न कोई संदेश छिपा होता था। वे संदेश भी व्यक्तिपरक नहीं होते थे।
प्रधानमंत्री रहते लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था। तब देश पर चीन और पाकिस्तान के हमले हो चुके थे।
इसके बाद जब देश में गंभीर खाद्यान्न संकट था, तब इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था।
नरेंद्र मोदी जब पीएम बने तो उनके लिए भी बीजेपी के लोगों ने नारा गढ़ा- मोदी है तो मुमकिन है।
यह अलग बात है कि नेताओं के नारे और उनके लंबे शासन के बावजूद हालात में खास बदलाव नहीं हुआ।
अगर हुआ रहता तो नरेंद्र मोदी की सरकार को आज 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की नौबत नहीं आती।
इस बार तो बीजेपी ने कई कदम आगे निकलते हुए अबकी बार 400 पार का नारा दे दिया, जो सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच खूब ट्रेंड कर रहा है।
इन दिनों सामने वाले की बातें सुन स्लोगन गढ़ने की परंपरा सी चल पड़ी है। इसी चुनाव से पहले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने जब पीएम मोदी पर उनके परिवार को लेकर हमला किया, तो अगले ही दिन पीएम ने देश को अपना परिवार क्या बताया, बस सोशल मीडिया पर मोदी का परिवार ही ट्रेंड करने लगा।
इससे पहले 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान जब राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए चौकीदार को चोर बताया तो, सभी भाजपाइयों ने मैं भी चौकीदार का नारा बुलंद कर दिया।
देखते ही देखते यह जुमला ट्रेंड करने लगा। उसके बाद तो नारों की परंपरा को पंख लग गये। विधानसभा चुनावों में भी नारे गढ़े जाने लगे।
तो आइए, ऐसे कुछ चुनावी नारों पर गौर करते हैं और उनका मतलब समझते हैं।
सबसे पहले बात करते हैं 2014 की। बीजेपी का नारा- मोदी है तो मुमकिन है इसी साल चर्चित हुआ।
साल 2014 में नरेंद्र मोदी जब केंद्र की सत्ता में आए, तो भाजपा के लोगों ने उनको केंद्र कर नारा उछाला- मोदी है तो मुमकिन है।
इसे जस्टिफाई करने के लिए मोदी के हर काम को भाजपा के लोग इसी नारे से जोड़ देते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में वहां फंसे भारतीय छात्रों को जब सुरक्षित भारत लाया गया, तब भी मोदी है तो मुमकिन है का नारा गूंजा था।
2019 में पुलवामा हमले का बदला चुकाने के लिए जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की, तब भी मोदी है तो मुमकिन है का नारा बुलंद हुआ था।
बाद में मोदी के हर अच्छे और नए काम के साथ इस नारे को जोड़ा जाता रहा है।
क्यूं करे विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार
साल 2020 में बिहार में विधानसभा का चुनाव होना था। उसके लिए जेडीयू ने एक चर्चित स्लोगन जारी किया- ‘क्यूं करे विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार।’
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू ने नीतीश कुमार को केंद्र कर स्लोगन बनाया था। तब का स्लोगन था- बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार हैं।
नीतीश कुमार को 2015 के स्लोगन पर तो ठीकठाक कामयाबी मिल गई थी, लेकिन 2020 में जेडीयू का नारा काम नहीं आया।
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को 43 सीटों पर सिमट जाना पड़ा था। हालांकि भाजपा की सहयोगी होने के नाते जेडीयू ने भी बराबर सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।
भाजपा को जेडीयू से दोगुनी से कुछ कम सीटें आईं। तब इसे जेडीयू ने लोजपा नेता चिराग पासवान की शरारत माना था।
दरअसल चिराग ने चुन-चुन कर जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतार दिए थे। जेडीयू का दावा था कि चिराग की वजह से उसे ढाई-तीन दर्जन सीटों का नुकसान हुआ।
आरजेडी का नारा- तेजस्वी है तो ताकत है
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इस बार तेजस्वी को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर तीन मिनट 56 सेकेंड का एक गीत लांच किया है।
यह गीत तेजस्वी यादव को केंद्र कर लिखा गया है। इसे नारे की शक्ल में भी लोग देख रहे हैं, जिसकी एक पंक्ति है- तेजस्वी है तो ताकत है।
पूरा गीत कुछ इस तरह है- तेजस्वी है तो ताकत है / इंक्लाब और क्रांति की ये तो अमानत है / सबको शिक्षा, सबकी प्रगति, सबकी हिफाजत है / तेजस्वी है तो ताकत है, तेजस्वी है तो ताकत है।
इस गाने का संदेश यही निकलता है कि बिहार की सत्ता को लेकर यह गीत रचा गया है। 2025 में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं।
आरजेडी की पूरी कोशिश है कि 2020 में तेजस्वी की ताजपोशी में जो कमी रह गई, उसे इस बार अवश्य पूरी कर ली जाए।
लोकसभा चुनाव के मौके पर बिहार को लेकर रचे गए इस गाने से ही स्पष्ट है कि आरजेडी का पूरा ध्यान अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर केंद्रित है।
जेएमएम का नारा – हेमंत है तो हिम्मत है
झारखंड में रघुवर दास के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार 2019 में रिपीट नहीं हुई। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कांग्रेस और आरजेडी के सहयोग से सरकार बनाई।
हेमंत सोरेन सीएम बने। तब यह नारा खूब प्रचलित हुआ था- हेमंत है तो हिम्मत है। हेमंत की हिम्मत को इसलिए रेखांकित किया गया था कि उन्होंने भाजपा की सरकार को शिकस्त दी थी।
अब हेमंत सोरेन जमीन घोटाले के आरोप में जेल में हैं। उनके नाम को केंद्र कर गढ़े गए नारे को दोहराने वाले नदारद हैं।
कल्पना सोरेन ने दिया झारखंड झुकेगा नहीं… का स्लोगन
हेमंत सोरेन के जेल चले जाने के बाद उनकी पत्नी राजनीति में दमखम दिखा रही हैं। वह गांडेय विधानसभा का उपचुनाव भी लड़ रही हैं।
उन्होंने बीजेपी को टारगेट करते हुए एक स्लोगन दिया है..झारखंड झुकेगा नहीं। इस चुनाव के दौरान इस स्लोगन में आगे जोड़ दिया गया है कि झारखंड झुकेगा नहीं और इंडिया रूकेगा नहीं..।
बहरहाल लोकसभा चुनाव तो अब अंतिम पड़ाव पर है और आगे विधानसभा चुनाव भी इसी साल के अंत में होने हैं।
तब देखना है क्या नये नारे और स्लोगन सुनने को मिलते हैं। हालांकि इन नारों और स्लोगनों का मुख्य उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ लोगों को ध्यान अपनी ओर खींचना ही होता है।
खैर, नारे हैं, नारों का क्या !
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