Silli Tiger Rescue:
रांची। रांची जिले के मारदू गांव में एक घर में घुस आए बाघ को 14 घंटे के लंबे ऑपरेशन के बाद सुरक्षित पिंजरे में बंद कर लिया गया। यह झारखंड का पहला ऐसा अभियान रहा, जिसमें बाघ को जिंदा पकड़ने में सफलता मिली। रेस्क्यू में पलामू टाइगर रिजर्व और रांची वन प्रमंडल की संयुक्त टीम ने अहम भूमिका निभाई। टीम बाघ को लेकर रवाना हो गई है। बाघ की लंबाई करीब 6 फीट है। इसे रॉयल बंगाल टाइगर बताया जा रहा है।
Silli Tiger Rescue: घर में घुसा बाघ, मची अफरा-तफरीः
बुधवार तड़के करीब 4.30 बजे मुरी स्थित हिंडालको फैक्ट्री में नाइट शिफ्ट से लौटे पूरन चंद जब अपने घर में बकरी निकाल रहे थे, तभी एक बाघ अचानक घर में घुस गया। घर के एक कमरे में उस समय दो बच्चियां सो रही थीं। पूरन चंद ने साहस दिखाते हुए बच्चियों को सुरक्षित बाहर निकाला और लोहे का दरवाजा बंद कर दिया। देखते ही देखते गांव में दहशत फैल गई और हजारों लोग जमा हो गए।
Silli Tiger Rescue: बेतला टाइगर रिजर्व से आई विशेषज्ञ टीमः
जानकारी मिलते ही वन विभाग ने पहले ओरमांझी स्थित बिरसा जैविक उद्यान की टीम को मौके पर भेजा, लेकिन वह बाघ को पकड़ने में असफल रही। इसके बाद पलामू के बेतला स्थित टाइगर रिजर्व से विशेषज्ञ टीम बुलाई गई। बाघ को बुधवार शाम करीब 6.30 बजे पिंजरे में सुरक्षित कैद कर लिया गया। बताया गया कि यह बाघ कई दिनों से रांची, जमशेदपुर, तमाड़ और खूंटी के जंगलों में भटक रहा था।

Silli Tiger Rescue: झारखंड में पहली बार बाघ का सफल रेस्क्यूः
इस जटिल रेस्क्यू ऑपरेशन को पलामू टाइगर रिजर्व और रांची वन प्रमंडल की संयुक्त टीम ने अंजाम दिया। अभियान की निगरानी परितोष उपाध्याय, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ और सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू, झारखंड ने की।
Silli Tiger Rescue: टीम में शामिल थे:
एस.आर. नतेशा (सीसीएफ वाइल्डलाइफ), श्रीकांत (डीएफओ रांची), अवनीश (डीएफओ वाइल्डलाइफ), डॉ. जब्बार (पशु चिकित्सक) और अन्य अधिकारी। बाघ को पहले शांत किया गया और फिर पिंजरे में डाला गया, ताकि सुरक्षित रूप से ट्रांसपोर्ट किया जा सके। यह झारखंड का पहला ऐसा मामला है जिसमें किसी बाघ को जिंदा रेस्क्यू किया गया।
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