Shravani Mela 2025: श्रावणी मेले में AI कैमरे के जरिए 200 गुमशुदा अपनों से मिले, फेस रिकॉग्निशन तकनीक का कमाल

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Shravani Mela 2025:

देवघर। देवघर के ऐतिहासिक श्रावणी मेले में इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तकनीक श्रद्धालुओं के लिए वरदान साबित हो रही है। मेला क्षेत्र में 200 से अधिक फेस रिकग्निशन कैमरे लगाए गए हैं, जो लापता या भटके हुए कांवरियों को चुटकियों में उनके परिजनों से मिलाने में मदद कर रहे हैं।

ऐसे काम कर रहे ये कैमरेः

ये हाई-टेक कैमरे श्रद्धालुओं की तस्वीरों को अपने डेटाबेस में संग्रहित करते हैं। जैसे ही किसी कांवरिया के लापता होने की सूचना मिलती है, संबंधित व्यक्ति की एक तस्वीर को एआई स्कैनर में अपलोड किया जाता है। इसके बाद यह तकनीक हजारों की भीड़ में भी उस चेहरे से मिलान कर लेती है और उसका लोकेशन ट्रैक कर लेती है।
बाबा मंदिर से लेकर कतार रूट तक लगे हैं हाई-रिजोल्यूशन कैमरेः

आईसीएससीआर से मिली जानकारी के मुताबिक, बाबा मंदिर परिसर में 30 और कतार रूट लाइन पर दुम्मा संगम से अग्रसेन चौक तक 170 एआई कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे हर गुजरने वाले श्रद्धालु की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और उसकी फोटो डेटाबेस में सुरक्षित कर रहे हैं।

यह पहली बार है जब श्रावणी मेले में इतनी व्यापक रूप से डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इससे न सिर्फ प्रशासन को भीड़ नियंत्रण में मदद मिल रही है, बल्कि श्रद्धालुओं को भी सुरक्षा और सुविधा का नया अनुभव हो रहा है। अब तक 200 से ज्यादा कांवरिए खुद ही खोये परिजनों से मिल चुके हैं।

कैमरा बताता है व्यक्ति कहां और कब था मौजूदः

यह सिस्टम न सिर्फ व्यक्ति की पहचान करता है, बल्कि यह भी बताता है कि वह कब और कहां देखा गया था। इसके आधार पर प्रशासन की टीम संबंधित क्षेत्र में तैनात अधिकारियों को अलर्ट करती है और तत्परता से उस व्यक्ति को खोजकर सुरक्षित परिजनों से मिलवाया जाता है। अब तक कई ऐसे लापता कांवरियों को इसी तकनीक के जरिए उनके परिवार से मिलाया जा चुका है।
आईटी विशेषज्ञों की टीम तैनात, एलईडी स्क्रीन कर रही मदद

इस तकनीक की सफलता में एक अहम भूमिका निभा रही है कंट्रोल रूम की आईटी टीम, जो 24 घंटे अलर्ट मोड पर काम कर रही है। जब किसी व्यक्ति की पहचान हो जाती है, तो उसकी फोटो को सार्वजनिक स्थानों पर लगी एलईडी स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाता है। इससे आसपास मौजूद लोग या स्वयं संबंधित व्यक्ति अपनी पहचान कर लेते हैं और शांति नगर स्टेडियम या जनता चौकी जैसे केंद्रों पर जाकर परिजनों से मिल जाते हैं।

सिस्टम लगातार हो रहा है अपडेटः

प्रशासन ने एआई तकनीक को और भी प्रभावी बनाने के लिए उसमें निरंतर सुधार किए हैं। विशेषज्ञों की टीम तकनीक को अपडेट करती रहती है, ताकि किसी भी स्थिति में लापता श्रद्धालुओं को जल्द से जल्द खोजा जा सके।
श्रावणी मेले में इस हाईटेक पहल ने न सिर्फ व्यवस्था को सुदृढ़ किया है, बल्कि इसे एक मॉडल के रूप में भी प्रस्तुत किया है, जिसे अन्य धार्मिक आयोजनों में भी अपनाया जा सकता है।

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