नयी दिल्ली : राज्यसभा के सदस्य एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने नरोदा गाम दंगा मामले में सभी 67 आरोपियों को बरी करने के गुजरात की अदालत के फैसले की शुक्रवार को आलोचना की और सवाल उठाया कि ‘‘क्या हमें कानून के शासन का स्वागत करना चाहिए या इसके खत्म होने पर निराश होना चाहिए?’’
गौरतलब है कि गुजरात की एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को 2002 के नरोदा गाम दंगों के मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया था। गोधरा मामले के बाद भड़के दंगों के दौरान, अहमदाबाद के नरोदा गाम में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों के मारे जाने के दो दशक से अधिक समय बाद विशेष अदालत का यह फैसला आया।