आज की तेज-तर्रार दुनिया में नेतृत्व करने का मतलब महज फैसले लेना ही नहीं है, बल्कि यह इस बारे में भी है कि आप दूसरों से कितनी अच्छी तरह जुड़ते हैं, उन्हें कैसे प्रेरित और प्रभावित करते हैं।
इसके लिए यह जानना जरूरी है कि आप बातचीत के दरम्यान अपनी आवाज और शब्दों का इस्तेमाल कैसे करते हैं। एक मजबूत और प्रभावी आवाज का होना मुखर उपस्थिति (वोकल प्रेजेंस) कहलाता है। यह लोगों को आपकी ओर आकर्षित करने और उनसे जुड़ने के लिए बेहद जरूरी है। अगर आप खुलकर बोलने में असहज महसूस करते हैं, तो कुछ तरकीबें आपके काम आ सकती हैं।
शांत और नियंत्रित रहें
अगर आपके साथ सार्वजनिक रूप से बोलने में घबराहट होना या सांस फूलने की समस्या है, तो आपको अपनी सांसों को शरीर से जोड़ने की कला पता होनी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले एक गहरी सांस लें और फिर इसे धीरे-धीरे एक हल्की फुफकार की आवाज के साथ छोड़ें।
इसके बाद, प्रत्येक अंग को लगभग तीस सेकंड के लिए गोलाकार गति में हिलाएं, अपने पैर को फर्श पर रखकर एक छोटा-सा वृत्त बनाएं और अपने कंधे को गोल-गोल घुमाएं। ऐसा करने से आपका चित्त शांत होगा और आप आत्मविश्वास के साथ बात करने तथा मन को काबू में करने के लिए खुद को प्रशिक्षित कर सकते हैं।
बोलने को आसान बनाएं
आपको यह सीखना होगा कि सांस छोड़ते ही बोलना कैसे शुरू करें, जिससे आपकी आवाज अधिक सहज और स्वाभाविक लगे। इसके लिए अपने हाथ को अपने मुंह के सामने रखें, अपना मुंह थोड़ा खोलें और धीरे से सांस छोड़ें जैसे कि आप किसी शीशे पर भाप बना रहे हों।
फिर, जैसे ही आप सांस छोड़ना शुरू करते हैं, ठीक उसी समय एक गुनगुनाती हुई आवाज निकालें। जब आप इस अंदाज में बोलेंगे, तो आपके लिए बोलना आसान हो जाएगा। साथ ही, इससे तनाव को कम करने और आवाज की स्पष्टता में सुधार करने में भी मदद मिलती है।
बोलचाल में लाएं विविधता
आपकी आवाज में विविधता होनी चाहिए, जो प्रभावी संचार के लिए जरूरी है। अलग-अलग स्वर, मात्रा और भावनाओं का इस्तेमाल करके आप किसी भी बात को अधिक आकर्षक तरीके से कह सकते हैं।
बुलंद आवाज में बोलने और अपने स्वर को बदलने के लिए सांस छोड़ते वक्त एक से पांच तक गिनती गिनें और अपनी आवाज को सुनें। इसके बाद दोबारा गिनती करें, लेकिन इस बार, गिनते समय अलग-अलग स्वर का इस्तेमाल करें। आप इस प्रक्रिया को रिकॉर्ड करके और बार-बार उसे सुनकर अपने स्वर की जांच कर सकते हैं।
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