Sawan Rudrabhishek:
रांची। शुक्रवार 11 जुलाई से सावन मास की शुरुआत हो गई है। यह भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह महीना प्रकृति की सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए खास है। पंडित रमेश द्विवेदी के अनुसार, सावन मास भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। इसकी पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने सावन में कठोर तप कर शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था, जिसके कारण यह महीना महादेव को विशेष प्रिय है।
Sawan Rudrabhishek: रुद्राभिषेक का महत्वः
रुद्राभिषेक, यानी भगवान शिव का रुद्र मंत्रों के साथ अभिषेक, इस मास में विशेष फलदायी है। यह वेदों में वर्णित है और इससे सुख-शांति, अच्छे विचार, और समृद्धि प्राप्त होती है। आचार्य प्रणव मिश्रा बताते हैं कि रुद्राभिषेक से सभी दुखों का नाश होता है और मनुष्य का जीवन सात्विक बनता है। घर में रुद्राभिषेक के लिए कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी और शुक्ल पक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथियां शुभ हैं। इससे संतान प्राप्ति, कालसर्प दोष निवारण, और रोग-शोक से मुक्ति मिलती है।

Sawan Rudrabhishek: सावन के व्रतः
सोमवार व्रत : सावन में पड़ने वाले सोमवार को व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है।
सोलह सोमवार व्रत : यह व्रत शुरू करने के लिए सावन सबसे शुभ समय है।
प्रदोष व्रत : इस व्रत को प्रदोष काल तक रखने से शिव और पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शिवलिंग पर क्या चढ़ाएं?
बेलपत्र, कमलपत्र, शंखपुष्प : धन-धान्य में वृद्धि।
सफेद आक : सम्मान और व्यापार में उन्नति।
भांग-धतूरा : विष दोष निवारण।
गंगाजल/तीर्थ जल : पितृ दोष शांति।
पंचामृत : धन की स्थिरता।
जौ : उत्तम स्वास्थ्य।
केशर : सुंदरता।
Sawan Rudrabhishek: विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक के फल
शिव पुराण के अनुसार, रुद्राभिषेक में अलग-अलग द्रव्यों का उपयोग करने से विशेष फल मिलते हैं :
जल : अच्छी वर्षा।
कुशा जल : रोग-दुख से मुक्ति।
दही : पशु, भवन, वाहन प्राप्ति।
गन्ने का रस : व्यापार में उन्नति।
मधु युक्त जल : धन वृद्धि, ऋण मुक्ति।
तीर्थ जल : मोक्ष प्राप्ति।
दूध : पुत्र प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति।
घी : वंश विस्तार।
शहद : मंगल दोष निवारण।

Sawan Rudrabhishek: रुद्री पाठ का महत्व
रुद्राभिषेक में रुद्री पाठ का विशेष महत्व है। एक पाठ से ग्रह शांति, तीन पाठ से कामना पूर्ति, पांच पाठ से अनिष्ट ग्रह शांति, और नौ पाठ से शत्रु नाश, धन, और सम्मान की प्राप्ति होती है।
Sawan Rudrabhishek: सावन की तिथियों के देवताः
पंडित रमेश द्विवेदी के अनुसार सावन की प्रत्येक तिथि का अपना देवता है, जैसे प्रतिपदा के अग्नि, द्वितीया के ब्रह्मा, अष्टमी के शिव, और पूर्णिमा के चंद्रमा। सावन मास में भगवान शिव की भक्ति और रुद्राभिषेक से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।
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