Relaxation in FDI rules:
वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगातार टैरिफ की धमकी दिए जाने के बीच भारत ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मच गई है। ट्रंप प्रशासन की अमेरिका-प्रथम नीति और भारी-भरकम टैरिफ के चलते जहां वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ रही है, वहीं भारत ने विदेशी निवेश को लेकर अपने रुख में लचीलापन दिखाना शुरू कर दिया है।
FDI नियमों में ढील की तैयारी
भारत सरकार के नीति आयोग ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहित करने के लिए एक बड़ा प्रस्ताव रखा है। इसके तहत, अब चीन की कंपनियां भारत में 24% तक हिस्सेदारी बिना सरकारी अनुमोदन के खरीद सकती हैं। अभी तक उन्हें विदेश और गृह मंत्रालय से सिक्योरिटी क्लीयरेंस लेना पड़ता था।
इस कदम का उद्देश्य उन बड़ी डील्स को तेजी से अंजाम तक पहुंचाना है, जो अब तक कड़े नियमों के कारण फंसी हुई थीं। नीति आयोग का मानना है कि इससे भारत में निवेश करने वाली कंपनियों को स्पष्ट लाभ होगा और देश में आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार मिलेगी।
गलवान के बाद अब व्यापार में नरमी
यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब 2020 की गलवान घाटी की झड़प के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव चला आ रहा था। तब भारत ने चीन की कंपनियों पर निवेश और टेक्नोलॉजी के मामले में सख्त पाबंदियां लगा दी थीं। अब उन रिश्तों में नरमी लाने और निवेश को बढ़ावा देने के संकेत दिख रहे हैं।
PMO समेत कई मंत्रालयों में मंथन जारी
नीति आयोग के इस प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), वाणिज्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय विचार कर रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इस पूरे घटनाक्रम ने अमेरिका को चौंका दिया है क्योंकि भारत का यह कदम टैरिफ के डर से परे जाकर अपनी आर्थिक रणनीति को स्वतंत्र रूप से आकार देने की कोशिश माना जा रहा है।
इसे भी पढ़ें
एलन मस्क का डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला, अमेरिका पार्टी का किया बचाव