रांची। रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों ने बताया कि बेड के लिए उन्हें पैसे देने पड़ते हैं। एक मरीज पायल ने बताया कि उसे सांस की बीमारी के कारण तड़पते हुए इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया था, लेकिन बेड की कमी के कारण उसे 1000 रुपये देने पड़े, तब जाकर उसे बेड और इलाज मिला। इसी तरह, मोइनुद्दीन अंसारी की पत्नी ने भी बताया कि उन्हें बेड के लिए 2000 रुपये देने पड़े, जबकि फर्स्ट फ्लोर पर दो बेड खाली थे।
नई बेडशीट और कंबल दिए गए, लेकिन कुछ ही घंटों में गायब हो गए
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के निरीक्षण के एक घंटे पहले, मरीजों को नई बेडशीट और कंबल दिए गए थे, ताकि मंत्री के सामने गंदगी न दिखे। लेकिन मंत्री के निरीक्षण के महज 24 घंटे बाद यह सब गायब हो गया। इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह दिखावे की व्यवस्था थी?
इमरजेंसी वार्ड में स्ट्रेचर की स्थिति में भी बदलाव
मंत्री के निरीक्षण से पहले, इमरजेंसी के बाहर स्ट्रेचर सजाकर रखे गए थे, लेकिन 24 घंटे बाद वही स्ट्रेचर गायब हो गए। इसके साथ ही, अस्पताल के डॉक्टर और प्रबंधन मंत्री के आने के समय पूरी तरह सक्रिय थे, लेकिन शनिवार को मरीजों को एंबुलेंस से इमरजेंसी में शिफ्ट करने में देरी हो रही थी, जिससे स्थिति और खराब हो गई।
अल्ट्रासाउंड के लिए तीन दिन का लंबा इंतजार
रिम्स के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती एक मरीज अनीता कुमारी को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए 3 जनवरी का समय दिया गया है। मरीज की स्थिति गंभीर है और इस देरी के कारण उसे इलाज में परेशानी हो रही है। मरीज के परिवार ने बताया कि दवाइयां लाने के लिए उन्हें बाहर से पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं, लेकिन अस्पताल में दवाओं की कमी है।
इसे भी पढ़ें