दयानंद राय
रांची : क्या झारखंड के किसी छोटे से गांव से निकले किसी आदिवासी नेता में इतना दम था कि वे अपने जमाने में आयरन लेडी कही जानेवालीं इंदिरा गांधी को एयरपोर्ट पर उतरने से रोक दे। आप कहेंगे असंभव। लेकिन ऐसा हुआ था। झारखंड आंदोलन के अगुआ नेताओं में से एक एनई होरो ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रांची हवाई अड्डे पर उतरने से रोक दिया था। एनई होरो के बारे में ये किस्सा मशहूर है कि वे अदम्य साहसी थे और मुद्दे से असहमत होने पर किसी से भी भिड़ जाते थे। वे बेहद ईमानदार छवि के नेता थे और उस समय उनकी तरह की सूझबूझ का कोई दूसरा नेता नहीं हुआ। 31 मार्च उनकी जयंती है और इस मौके पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़े अनछुए पहलुओं को।
झारखंड आंदोलन को दी थी गति
जयपाल सिंह मुंडा के बाद एनई होरो ने ही झारखंड आंदोलन का नेतृत्व कर उसे गति दी थी। एनई होरो वृहद झारखंड के जबर्दस्त पैरोकार थे। उन्हें निकट से जाननेवाले प्रसिद्ध पत्रकार वीर भारत तलवार लिखते हैं कि वे अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने झारखंड आंदोलन की अलख को जलाए रखा। वे सेक्यूलर थे और शानदार पत्रकार भी थे। वह हिन्दी में झारखंड टाइम्स और मुंडारी में जगर सरा नामक पत्रिकाएं निकालते थे। वह बिहार में मंत्री रह चुके थे और उन्हें विपक्ष ने उन्हें उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार भी बनाया था। ऐसे धाकड़ नेता रहे एनई होरो का जन्म 31 मार्च 1925 को खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड के गोविंदपुर में हुआ।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुरहू में हुई। इसके बाद उन्होंने संत कोलंबस कॉलेज हजारीबाग से स्नातक और छोटानागपुर लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे गोस्सनर हाई स्कूल में शिक्षक के तौर पर सेवा देने लगे। झारखंड आंदोलन के नायक जयपाल सिंह मुंडा वर्ष 1962 में कांग्रेस में शामिल हो गये और झारखंड पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। ऐसे में एनई होरो ने झारखंड पार्टी के कांग्रेस में विलय का विरोध किया। उन्होंने पार्टी की कमान संभाली और झारखंड आंदोलन को आगे बढ़ाया।
कोलेबिरा विधानसभा से चुनकर बने थे विधायक
एनई होरो 1967 में कोलेबिरा विधानसभा से चुनकर विधायक बने। 1968 में तत्कालीन बिहार सरकार में वे योजना एवं जनसंपर्क मंत्री तथा 1969 में शिक्षा मंत्री बने। इस दौरान उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किए। खूंटी लोकसभा से दो बार सांसद रहे और तोरपा विधानसभा से 1977 से 2000 तक लगातार विधायक रहे। एनई होरो बिहार, बंगाल, ओडिशा और मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों को मिलाकर वृहत झारखंड बनाने के हिमायती थे।
उन्होंने 12 मार्च 1973 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इस आशय का एक मेमोरेंडम भी सौंपा था। इस दिन को झारखंड पार्टी झारखंड मांग दिवस के रूप में मनाती थी। स्वर्गीय होरो जीवनभर इस मांग के लिए लड़ते रहे। वे एक पत्रकार भी थे और उन्होंने हिंदी साप्ताहिक झारखंड टाइम्स, मुंडारी मासिक पत्रिका जगर साड़ा तथा मरसल का संपादन किया। उन्होंने रेडियो पर जिदन सेन होरा नाम के कार्यक्रम का भी संचालन किया था।