यूरेशिया प्लेट है भूकंप का केंद्र, इससे टकराने पर आते हैं भूकंप
नई दिल्ली, एजेंसियां। तिब्बत, नेपाल और भूट्टान में एक बार फिर भूकंप ने तबाही मचाई है। खास तौर पर तिब्बत में इसका ज्यादा असर दिखा। भूकंप के कारण करीब 140 लोगों की मौत हुई है और करीब 180 लोग घायल हैं।
भारत के भी कई राज्यों में इसका असर दिखा है। उत्तईर भारत के एक बड़े हिस्सेह में एक बार फिर से आए भूकंप से लोगों की चिंता बढ़ गई है। इससे पहले 9 नवंबर को भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 6.4 मापी गई थी। फिर बीते मंगलवार को आए भूकंप की तीव्रता इससे कम 5.4 मापी गई है।
इससे पहले 9 नवंबर को रात करीब 2 पर 6.4 की तीव्रता का भूकंप आया था। दोनों के बीच काफी हद समानता की बात की जा रही है। भूगर्भ वैज्ञानिकों की मानें तो इस भूकंप का केंद्र भी उसी इलाके में था जहां पर 9 नवंबर को था। इस भूकंप का केंद्र जमीन में 10 किमी नीचे था। ऐसे में एक सवाल ये खड़ा हो रहा है कि इस क्षेत्र में में आने वाले भूकंप किसी बड़ी अनहोनी का संकेत मात्र तो नहीं हैं।
इस इलाके में भूकंप आने की कारणः
जिस इलाके में पिछले दो बार से भूकंप के तेज झटके महसूस किए जा रहे हैं वो समूचा क्षेत्र भारतीय प्लेरट और यूरेशियन प्लेाट पर मौजूद है। भारतीय प्लेशट लगातार खिसक रही है और यूरेशियन प्लेाट की तरफ आगे बढ़ रही है।
इनके खिसकने से धरती के अंदर होने वाली टक्कनर से अत्यधिक उर्जा उत्पन्ना होती है। जब वो रिलीज होती है तो ऊपरी क्षेत्र में हलचल पैदा करती है और भूकंप आते हैं। इस क्षेत्र में आने वाले भूकंप यहां की प्लेट्स में हो रहे बदलाव की ही वजह है। भूकंप का केंद्र जितनी गहराई में होता है उतना ही खतरा और नुकसान होने की आशंका कम होती है।
भारत की स्थिति में बदलावः
वैज्ञानिकों की राय में भारत हर वर्ष करीब 47 मिलीमीटर खिसक कर मध्य एशिया की तरफ बढ़ रहा है। ये प्रक्रिया हाल के कुछ वर्षों में शुरू नहीं हुई है बल्कि वर्षों से लगातार ये बदलाव हो रहा है। वैज्ञानिक की मानें तो धरती की गहराई में हो रहा बदलाव ही भूकंपों को जन्मई देता है। भारतीय प्लेट यूरेशिया की तरफ बढ़ रही है। कभी कभी इन दोनों प्लेबट्स में आपसी टक्कूर होती है और फिर ये स्थिर भी हो जाती हैं।
ये हैं अत्यरधिक संवेदनशील वाले क्षेत्रः
भूकंप के खतरे के लिहाज से भारत को चार भांगों में बांटा गया है। इसमें सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में उत्तराखंड, कश्मीर का श्रीनगर वाला इलाका, हिमाचल प्रदेश और बिहार का कुछ हिस्सा, गुजरात का कच्छ और पूर्वोत्तर के छह राज्य आते हैं। यहां पर अधिक और ताकतवर भूकंप आने की आशंका अधिक होती है।
ऊंची इमारतों में रहने वालों को अधिक खतराः
जानकार मानते हैं कि भूकंप के दौरान उन लोगों को सबसे अधिक खतरा होता है जो ऊंची इमारतों में रहते हैं। भारत में अधिकतर इमारतें भूकंप रोधी नहीं हैं, इसलिए नुकसान की आशंका भी हर वक्तए बनी रहती है।
इसलिए भूगर्भ वैज्ञानिक बार-बार ये सलाह देते हैं कि ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग इस तरह के हालातों में खुद को काबू रखते हुए संयंम से काम लें। घबराकर भागने न लगें। न ही लिफ्ट का उपयोग करें। घर की गैस और लाइट्स को आफ कर दें। ऐसा इसलिए क्योंसकि इस तरह के हालातों में शार्ट सर्किट होने की संभावना अधिक हो जाती है।
यूरेशिया प्लेट भूकंप का केंद्र है:
यूरेशिया और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव से कई भूकंप आते हैं। यूरेशिया के नीचे भारत के उत्तर की ओर धकेलने से भी कई भूकंप आते हैं। इस वजह से, हिमालय और आस-पास के इलाके भूकंप के लिए बहुत खतरनाक हैं।
हिमालय में कई बार बड़े भूकंप आ चुके हैं, । 1934 में 8.1 तीव्रता का भूकंप,, 1905 में 7.5 तीव्रता का भूकंप, और 2005 में 6 तीव्रता का भूकंप आया था।
भूकंप से जुड़ी कुछ और बातें:
भूकंप का केंद्र, पृथ्वी की सतह पर हाइपोसेंटर या फ़ोकस के ठीक ऊपर होता है। इसे उपरिकेंद्र कहते हैं। भूकंप की तरंगें, फ़ोकस से सभी दिशाओं में फैलती हैं। भूकंप के खतरे वाले इलाके, भूकंपीय प्लेट की सीमाओं पर होते हैं। जापान, दो प्लेटों यूरेशिया और परि-प्रशांत प्लेट के बीच में स्थित है। इसलिए, वहां अक्सर भूकंप आते हैं।
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