Javed Akhtar’s statement:
मुंबई, एजेंसियां। हाल ही में बॉलीवुड लेखक और गीतकार जावेद अख्तर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक सहिष्णुता के मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। वीडियो में उन्होंने हिंदुओं से कहा कि वे “मुसलमानों की तरह न बनें।” इस बयान ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया।एक ट्विटर यूजर ने इस बात पर पोस्ट साझा की और लिखा, “जावेद अख्तर हिंदुओं से कहते हैं कि मुसलमानों जैसे मत बनो। उन्हें अपने जैसा बनाओ। यह त्रासदी है। पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी ने इस बेशर्म कट्टरपंथी को दिया गया निमंत्रण वापस लिया।”
सिंगर लकी अली ने किया तीखा कमेंट
इस ट्वीट पर सिंगर लकी अली ने तीखा कमेंट किया, “जावेद अख्तर की तरह मत बनो, वह कभी असली नहीं थे, हमेशा से बदसूरत थे।” इस कमेंट ने सोशल मीडिया पर ध्यान आकर्षित किया और विवाद की हवा तेज कर दी।
हालांकि, बाद में लकी अली ने अपने कमेंट की सफाई दी। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मेरा मतलब यह था कि अहंकार बदसूरत होता है। यह मेरी तरफ से एक गलत कम्यूनिकेशन था। राक्षसों की भी भावनाएं हो सकती हैं और अगर मैंने किसी राक्षस को चोट पहुंचाई है तो मैं माफी मांगता हूं।”
सोशल मीडिया पर बयान अक्सर विवादों को जन्म देती है
इस पूरे विवाद ने यह दिखाया कि सोशल मीडिया पर बयानों की व्याख्या अक्सर विवादों को जन्म दे सकती है। जावेद अख्तर अक्सर अपने बेबाक बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं, और इस बार उनके कथन ने धार्मिक सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर बहस को जन्म दिया। लकी अली का प्रतिक्रिया कमेंट भी उसी बहस का हिस्सा बन गया।विशेष रूप से यह मामला यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया कितनी जल्दी विवाद का रूप ले सकती है और किस तरह एक बयान कई लोगों की भावनाओं को छू सकता है।
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