Delhi Air Pollution:
नई दिल्ली, एजेंसियां। राजधानी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। दिवाली के बाद से हालात और बिगड़ गए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 27 अक्तूबर की शाम 4 बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 301 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। वहीं, छठ की सुबह यह 241 रहा।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण के चलते अस्पतालों में सांस और फेफड़ों की बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है। दिल्ली के कई सरकारी और निजी अस्पतालों में पिछले 10 दिनों में श्वसन संबंधी मरीजों की संख्या करीब 20% तक बढ़ी है। डॉक्टरों का कहना है खराब वायु गुणवत्ता कमजोर समूहों जैसे बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है। मरीजों में सांस फूलना, गले में जलन, सिरदर्द, थकान और खांसी की शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक ऐसी हवा में रहना हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है।
बच्चों पर सबसे ज्यादा असर
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों के फेफड़े और इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होते, जिससे वे प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 6 लाख से अधिक बच्चों की मौतें प्रदूषित हवा के कारण होने वाली बीमारियों से होती हैं।
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में रहने वाले बच्चों में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सर्दी-खांसी और मानसिक तनाव की शिकायतें बढ़ रही हैं।
डॉक्टरों की सलाह
- बच्चों को बाहर निकलते समय मास्क पहनाएं।
- प्रदूषण के दिनों में आउटडोर गतिविधियों को सीमित करें।
- घर में एयर प्यूरीफायर या पौधे लगाकर इनडोर हवा को स्वच्छ रखें।
- जिन बच्चों को पहले से अस्थमा या सांस की समस्या है, उन्हें डॉक्टर की सलाह पर नियमित दवा दें।
विशेषज्ञों ने कहा “लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से बच्चों के फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और आगे चलकर हृदय व फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।”
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